अब तक रोबोटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी आधुनिक तकनीकी शिक्षा को बड़े और महंगे CBSE स्कूलों तक सीमित माना जाता रहा है, लेकिन इंदौर में आयोजित रोबोलागस टेक फेस्ट में यह मिथक टूट गया। इसमें न सिर्फ प्राइवेट बल्कि सरकारी स्कूलों के बच्चों ने भी अपने दिमाग का हुनर दिखाया। एमकेवीवी विद्यालय द्वारा रोबोलागस टेक फेस्ट का आयोजन किया गया। यह टेक फेस्ट 7 दिनों तक चला, जिसमें विद्यार्थियों द्वारा बनाए गए रोबोट्स, वर्किंग मॉडल्स, मशीनरी प्रोजेक्ट्स और इनोवेटिव आइडियाज को प्रदर्शित किया गया। इसमें सीमित संसाधनों वाले स्कूलों के बच्चों का हुनर भी देखते ही बन रहा था। विद्यार्थियों ने ह्यूमनोइड रोबोट, AI आधारित एप्लिकेशन और ड्रोन जैसे प्रोजेक्ट्स तैयार कर नई मिसाल कायम की।
छात्रों को प्रशिक्षण भी दिया गया
इंदौर के कई स्कूलों में प्रारंभिक कक्षाओं से ही विद्यार्थियों को तकनीक और इनोवेशन से जोड़ा जा रहा है, जिसका परिणाम यह है कि आज इंदौर के सैकड़ों छात्र स्वयं ह्यूमनोइड रोबोट, AI प्रोजेक्ट्स, ड्रोन और 3D प्रिंटेड मशीन पार्ट्स तैयार कर रहे हैं। एमकेवीवी स्कूल में आयोजित इस टेक फेस्ट में छात्रों को ह्यूमनोइड रोबोटिक्स, वेबसाइट और ऐप डेवलपमेंट, ड्रोन मेकिंग, 3D प्रिंटिंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे विषयों पर व्यावहारिक प्रशिक्षण भी दिया गया।
बिना इंजीनियर की मदद से बने ह्यूमनोइड रोबो
टेक फेस्ट में विद्यार्थियों द्वारा तैयार किए गए ह्यूमनोइड रोबोट विशेष आकर्षण का केंद्र रहे। इनमें आर्यबोट, जो वॉइस कमांड समझने वाला AI आधारित टीचिंग रोबोट है और भारत, जो एक सर्विंग रोबोट है और प्रज्ञान, जो सेंसर युक्त वेलकमिंग रोबोट है शामिल हैं। इन तीनों रोबोट्स को विद्यार्थियों ने बिना किसी बाहरी इंजीनियर की सहायता से तैयार किया।
AI फीमेल रोबोट नोवा बनी आकर्षण
टेक फेस्ट में प्रदर्शित फुली AI बेस्ड फीमेल रोबोट नोवा विद्यार्थियों के लिए विशेष आकर्षण रही। इसे दिल्ली के इंजीनियर्स के तकनीकी सहयोग से विकसित किया गया। इसका उद्देश्य स्कूल स्तर पर ही विद्यार्थियों को कॉलेज-स्तरीय तकनीकी माहौल उपलब्ध कराना है।
मेक इन इंडिया सोच के साथ देना होगी तकनीकी शिक्षा
विद्यालय के संचालक विपिन तिवारी (MCA) ने कहा कि भारत आज मेक इन इंडिया पर आगे बढ़ रहा है। भारत को भविष्य के लिए तकनीकी रूप से दक्ष युवाओं की आवश्यकता है। एआई और रोबोटिक्स में हम जितना अधिक काम करेंगे उतना ही फायदे में रहेंगे। छात्रों को स्कूल से ही इसका ज्ञान मिलेगा तो स्वाभाविक रूप से वे इसमें बेहतर कर पाएंगे