भारत के लिए वैश्विक खेल शक्ति का दर्जा हासिल करने में सबसे बड़ी बाधाओं में से एक यह है कि लगातार तीसरे साल उसने डोपिंग के पॉजिटिव मामलों में सबसे ऊपर रहने की शर्मनाक उपलब्धि हासिल की है। जब देश अहमदाबाद में ‘विश्व पुलिस एवं दमकल खेल 2029’ और ‘शतवार्षिक राष्ट्रमंडल खेल 2030’ की तैयारी में जुटा है, तब प्रदर्शन में पीछे और डोपिंग में आगे रहने का रुझान ‘ओलंपिक खेल 2036’ की दावेदारी की उसकी आकांक्षाओं के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है। वैश्विक निगरानी संस्था, वर्ल्ड एंटी-डोपिंग एजेंसी (वाडा) के साल 2024 के आंकड़ों के मुताबिक, भारत में 7,113 परीक्षणों में 260 प्रतिकूल विश्लेषणात्मक निष्कर्ष (एएएफ) दर्ज किये गये, जो 3.6 फीसदी की दर है। तादाद के लिहाज से फ्रांस (91) और इटली (85) दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे। कुल परीक्षणों की संख्या के मामले में भारत चीन (24,214) से काफी पीछे सातवें स्थान पर था। इसके बावजूद, नेशनल एंटी-डोपिंग एजेंसी (नाडा) इस तस्वीर का उजला पक्ष देख रही है और दावा कर रही है कि उच्च पॉजिटिविटी रेट ज्यादा बड़ी संख्या में परीक्षण के कारण है। कोविड-19 के बाद के दौर में, साल 2022 में एएएफ और कुल सैंपल संख्या क्रमश: 125 और 3,865 (3.2 फीसदी की दर) थे, और साल 2023 में ये क्रमश: 213 और 5,606 (3.8 फीसदी की दर) थे नाडा यह कहने में फख्र महसूस करता है कि इस साल 16 दिसंबर तक उसने 7,068 परीक्षण किये हैं और पहले की तुलना में कम, 1.5 फीसदी की दर से, पॉजिटिव मामले (110) मिले हैं। उसने डोपिंग पर अंकुश के लिए कई उपाय अपनाये हैं, जिसमें जागरूकता अभियान चलाना और ‘नो योर मेडिसिन’ ऐप के इस्तेमाल को प्रोत्साहित करना शामिल है। ऐसे कई उदाहरण हैं जब नाडा के अधिकारियों ने एथलीटों का पीछा किया और वे परीक्षण से बचने के लिए भागने की कोशिश करते दिखे। चूहे-बिल्ली के खेल की ऐसी कहानियां निराशाजनक स्थिति और खेल इकोसिस्टम के भीतर गहरी दिक्कत की ओर इशारा करती हैं। इस इकोसिस्टम में सपोर्ट स्टाफ भी शामिल है जिन्हें डोपिंग में मदद के लिए निलंबित किया गया है। खेल मंत्रालय इस चिंता के निवारण में लगा है, लेकिन साथ में वह यह भी मानता है कि खेल कोटा के जरिए सरकारी नौकरियां एथलीटों के लिए शॉर्टकट अपनाने का एक बड़ा प्रलोभन हैं। इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि बड़े अंतरराष्ट्रीय तमगों के लिए लुभावने नकद इनाम भी आला एथलीटों को प्रतिबंधित प्रदर्शन-वर्धक दवाएं लेने को प्रेरित कर रहे हो सकते हैं, भले ही इससे लंबे समय में उनके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव का खतरा हो। भारत ने अपने डोपिंग-रोधी प्रयासों को मजबूती देने के लिए राष्ट्रीय डोपिंग-रोधी (संशोधन) विधेयक, 2025 पारित किया है। डोपिंग का कारण चाहे जरूरत हो या लालच या अज्ञानता, इस मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक कमेटी से दबाव को देखते हुए, देश को नाडा को सही मायनों में एक स्वतंत्र संस्था बनाना चाहिए और इस खतरे के खिलाफ एक ज्यादा मजबूत लड़ाई खड़ी करने के लिए उसको अधिक धन मुहैया कराना चाहिए, ताकि वह आधुनिक वैज्ञानिक विकास के साथ कदम से कदम मिलाकर चल सके।
