वाराणसी । शुक्रवार को बाबू जगत सिंह कोठी में मातृभूमि संस्था द्वारा तैयार क्रांतिकारी पंचांग - 2026 का लोकार्पण हुआ । कार्यक्रम की शुरुआत सरस्वती शिशु मंदिर की छात्राओं द्वारा वंदे मातरम गीत से हुआ।कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पद्म भूषण राम बहादुर राय ने कहा अब वक्त आ गया है कि बाबू जगत सिंह की कोठी को राष्ट्रीय स्मारक बनाया जाए । हमें याद रखना चाहिए कि इतिहास वर्तमान को अतीत से जोड़ता है और भविष्य की दृष्टि देता है। स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ पर प्रधानमंत्री ने कहा था कि हमें उन अनाम क्रांतिकारियों को खोजना चाहिए ,जिनका योगदान हमारे स्वतंत्रता में है। यह चिंगारी पूरे देश में फैली और आज बाबू जगत सिंह का इतिहास हमारे सामने है । अभी बहुत खोज करनी है, शोध समिति द्वारा तीन महत्वपूर्ण बातें आज हमारे समक्ष है । बहुत कम लोगों को पता है 1799 में काशी में स्वतंत्रता का युद्ध लड़ा गया। बाबू जगत सिंह क्रांतिकारी के साथ ही साथ सर्व धर्म समभाव के पक्षधर भी थे । सारनाथ को चिन्हित करने का श्रेय भी उन्हीं को जाता है। 1799 ,काशी की बगावत के अंतर्गत बाबू जगत सिंह पूरी बहादुरी के साथ अपनी कोठी में डटे रहे। अंग्रेजों को उनको गिरफ्तार करने में दो महीने का वक्त लगा । इस से अंदाजा लगाया जा सकता है कि बाबू जगत सिंह के प्रभाव का विस्तार कितना बड़ा था। सारनाथ की खुदाई में मिले मंजूषा को आज की तारीख में भारत सरकार को खोजवाना चाहिए।आज बिना सरकारी अनुदान की सहायता से शोध कार्य को संचालित करना प्रशंसनीय कार्य है। क्रांतिकारी पंचांग -2026 के लोकार्पण के पूर्व मातृभूमि संस्था के राकेश कुमार ने कहा - "अनाम क्रांतिकारियों के लिए हमें शोध और खोज की आवश्यकता है और यह शोध तभी पूर्ण होगा जब हम क्रांतिकारियों के घरों तक पहुंचे । बाबू जगत सिंह एक ऐसे ही उदाहरण है, जहां प्रदीप नारायण सिंह ने अपने छठवीं पीढ़ी के इतिहास को खोजा और समाज के समक्ष रखा । इसमें और भी कड़ियां जुड़नी चाहिए। विशिष्ट अतिथि के रूप में रविंद्र जायसवाल राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) ने इस आयोजन पर अपनी प्रसन्नता जाहिर की और योगदान का आश्वासन दिया।इतिहासकार और बाबू जगत सिंह पुस्तक के लेखक डॉ हामिद आफाक कुरैशी ने शोध की बातों को विस्तार से बतलाया और आपने कहा बाबू जगत सिंह सर्वगुण संपन्न व्यक्तित्व थे । उनके व्यक्तित्व के अन्य पहलुओं पर शीघ्र ही हम पुस्तक लाने का प्रयास करेंगे। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए सारनाथ के भंते डॉ के सुमेध थेरो ने कहा कि अपनी मातृभूमि स्वर्ग से भी बड़ी है । और बौद्ध ग्रंथों में काशी के अनेक राजाओं का जिक्र आता है । इतिहासकार शोध के संदर्भ में उन ग्रंथों का अध्ययन करते हैं सारनाथ के संदर्भ में इन ग्रंथो में बहुत कुछ मिलता है। संस्था के न्यासी चंद्रकांत ने बताया की हर वर्ष मातृभूमि सेवा संस्था द्वारा प्रकाशित होने वाले क्रांतिकारी पंचांग की डिजाइनिंग में संस्था के राष्ट्रीय संयोजक संजय कुमता का योगदान अतुल नहीं है।अतिथियों का स्वागत प्रदीप नारायण सिंह एवं कार्यक्रम का संचालन डॉ (मेजर) अरविंद कुमार सिंह ने किया। धन्यवाद ज्ञापन राजेंद्र कुमार दूबे ने किया। इस अवसर पर डॉ नागेंद्र पांडेय , अशोक आनंद,पद्मश्री चंद्रशेखर सिंह पूर्व एमएलसी केदारनाथ सिंह सूबेदार सिंह, विक्रम राय, डा राम सुथार सिंह, प्रोफेसर उपेंद्र मणि त्रिपाठी , प्रोफेसर ध्रुव कुमार ,प्रोफेसर अरविंद जोशी , प्रवेश भारद्वाज डॉ राजकुमार सिंह, प्रेम कपूर, परमजीत सिंह अहलूवालिया, अंकिता खत्री ,गोकुल शर्मा , केदार तिवारी , नरेंद्र नाथ मिश्रा , हिमांशु उपाध्याय ,डॉ कविन्द्र नारायण , पुरुषोत्तम मिश्रा , आचार्य दिनेश पांडे ,महेश चंद्र अवनीधर, अरविंद सिंह (एडवोकेट) और चित्रकार मनीष खत्री के अतिरिक्त भारी संख्या में शिक्षाविद और शहर के अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।रविन्द्र गुप्ता 151009219
