यूपी प्रयागराज। अधिवक्ताओं की सुरक्षा एवं उनके अधिकारों को लेकर पहले आयोजित की जा चुकी अधिवक्ता अधिकार यात्रा के बाद अब अधिवक्ता समाज ने अपनी मांगों को लेकर सरकार का ध्यान आकृष्ट करने हेतु आज एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की। प्रेस कॉन्फ्रेंस में अधिवक्ताओं ने स्पष्ट किया कि यात्रा के माध्यम से उठाई गई मांगें आज भी जस की तस बनी हुई हैं और अब सरकार को इस पर ठोस निर्णय लेना चाहिए।
प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए यात्रा संयोजक अधिवक्ता प्रदीप धर तिवारी ‘देवेश्वर’ ने कहा कि उत्तर प्रदेश में अधिवक्ताओं पर हमले, अपमान और उत्पीड़न की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं, लेकिन इसके बावजूद अब तक अधिवक्ता सुरक्षा अधिनियम लागू नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि अधिवक्ता न्याय व्यवस्था का अहम स्तंभ हैं, परंतु स्वयं को सबसे अधिक असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया गया कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय से लखनऊ तक आयोजित अधिवक्ता अधिकार यात्रा के दौरान अधिवक्ता समाज की पीड़ा और समस्याएं पूरी मजबूती से रखी गई थीं, लेकिन अभी तक शासन स्तर पर कोई ठोस पहल नहीं दिख रही है। इसी को लेकर आज मीडिया के माध्यम से सरकार तक अपनी बात दोबारा पहुंचाई जा रही है।
अधिवक्ताओं की प्रमुख मांगें
प्रेस कॉन्फ्रेंस में अधिवक्ताओं ने अपनी 7 सूत्रीय प्रमुख मांगों को दोहराया—1. उत्तर प्रदेश में अविलंब अधिवक्ता सुरक्षा अधिनियम लागू किया जाए।2. वरिष्ठ अधिवक्ताओं के लिए पेंशन योजना लागू की जाए।3. अधिवक्ताओं को टोल टैक्स में छूट प्रदान की जाए।. सभी अधिवक्ताओं के लिए 20 लाख रुपये का जीवन बीमा सुनिश्चित किया।. प्रदेश के सभी अधिवक्ताओं को चैंबर सुविधा उपलब्ध कराई जाए। नव नामांकित अधिवक्ताओं को तीन वर्षों तक मासिक प्रोत्साहन राशि दी जाए।हाईकोर्ट, जिला एवं तहसील न्यायालयों में चिकित्सा सुविधा एवं 100 बेड का अस्पताल स्थापित किया जाए।
अधिवक्ताओं ने चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगों पर शीघ्र निर्णय नहीं लिया गया, तो अधिवक्ता समाज आगे की रणनीति तय कर आंदोलन को और तेज करेगा। साथ ही सरकार से यह भी मांग की गई कि अधिवक्ताओं की सुरक्षा और सम्मान से जुड़े विषयों को प्राथमिकता देते हुए तत्काल नीतिगत निर्णय लिए जाएं। देखे यूपी सेंट्रल से मनोज सिंह की रिपोट
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