वाराणसी। कटिंग-एज रिसर्च इन आयुर्वेदः ट्रांसफॉर्मिंग ग्लोबल हेल्थ (आई सी सी आर ए -2025)विषयक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन के साथ एक बौद्धिक रूप से सशक्त एवं वैश्विक महत्व का शैक्षणिक वातावरण साकार हुआ। यह तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के. एन. उड्डुपा सभागार, चिकित्सा विज्ञान संस्थान, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में आयोजित किया जा रहा है। सम्मेलन का आयोजन आयुर्वेद संकाय, चिकित्सा विज्ञान संस्थान, बीएचयू द्वारा किया गया है। इसमें संयुक्त राज्य अमेरिका, दक्षिण कोरिया, श्रीलंका, नेपाल एवं बांग्लादेश से आए प्रतिष्ठित अतिथि वक्ता, प्रतिनिधि एवं शोधकर्ता भाग ले रहे हैं, साथ ही भारत के लगभग सभी राज्यों से व्यापक सहभागिता आयुर्वेद की बढ़ती वैश्विक स्वीकार्यता को दर्शाती है।सम्मेलन का उद्घाटन मुख्य अतिथि, कुलपति प्रो. अजित कुमार चतुर्वेदी, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय द्वारा किया गया। अपने उद्घाटन संबोधन में उन्होंने कहा कि आयुर्वेद को वैश्विक स्वास्थ्य प्रणाली में सशक्त रूप से स्थापित करने के लिए वैज्ञानिक प्रमाणीकरण, अंतर्विषयक सहयोग तथा अंतरराष्ट्रीय सहभागिता अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने यह भी कहा कि बीएचयू जैसे विश्वविद्यालयों की यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है कि वे शास्त्रीय ज्ञान को आधुनिक अनुसंधान प्रतिमानों से जोड़ते हुए आयुर्वेद को निवारक, संवर्धक एवं उपचारात्मक स्वास्थ्य सेवाओं में वैश्विक स्तर पर प्रभावी बनाएँ। सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए निदेशक, चिकित्सा विज्ञान संस्थान, बीएचयू, प्रो. एस. एन. संखवार ने कहा कि आयुर्वेद वर्तमान में एक परिवर्तनकारी चरण से गुजर रहा है, जहाँ साक्ष्य-आधारित क्लिनिकल अनुसंधान, मानकीकृत उपचार प्रोटोकॉल तथा ट्रांसलेशनल परिणाम इसकी व्यापक स्वीकृति के लिए अनिवार्य हैं। उन्होंने कहा कि आई सी सी आर ए -2025 जैसे अंतरराष्ट्रीय मंच आयुर्वेदिक विज्ञान में अकादमिक गुणवत्ता बढ़ाने और वैश्विक विश्वास सुदृढ़ करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।विशिष्ट अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए दक्षिण कोरिया से पधारे टैक्होआन ली ने पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों के प्रति बढ़ती वैश्विक रुचि की ओर संकेत करते हुए कहा कि आयुर्वेद की समग्र एवं दर्शन-आधारित स्वास्थ्य दृष्टि आधुनिक वैश्विक वेलनेस आंदोलनों के अनुरूप है । नेपाल से आए प्रो. बिजेन्द्र शाह ने दक्षिण एशियाई क्षेत्र की साझा सांस्कृतिक एवं चिकित्सीय विरासत को रेखांकित करते हुए सहयोगात्मक अनुसंधान एवं अंतरराष्ट्रीय शैक्षणिक आदान-प्रदान को आयुर्वेद की वैश्विक स्थिति सुदृढ़ करने हेतु आवश्यक बताया। श्रीलंका से पधारी प्रो. स्वर्णा हपुआराच्ची ने कहा कि आधुनिक फार्माकोलॉजी, प्रयोगात्मक मॉडल तथा डिजिटल तकनीकों से समर्थित ट्रांसडिसिप्लिनरी एवं ट्रांसलेशनल अनुसंधान, आयुर्वेद को मुख्यधारा की वैश्विक स्वास्थ्य प्रणाली में स्थापित करने की दिशा में अत्यंत महत्वपूर्ण है।उद्घाटन समारोह का शुभारंभ भगवान धन्वंतरि की प्रतिमा स्थापना एवं भारत रत्न महामना पंडित मदन मोहन मालवीय जी को पुष्पांजलि अर्पित कर किया गया। इसके पश्चात दीप प्रज्वलन एवं बीएचयू कुलगीत का सामूहिक गायन हुआ। आयुर्वेद संकाय के अधिष्ठाता प्रो. प्रदीप कुमार गोस्वामी ने स्वागत भाषण में बीएचयू की अकादमिक उत्कृष्टता एवं समेकित चिकित्सा शिक्षा की गौरवशाली परंपरा को रेखांकित किया। आयोजन सचिव डॉ. ए. के. द्विवेदी ने सम्मेलन के उद्देश्यों, विषयगत संरचना तथा अंतरराष्ट्रीय सहभागिता की रूपरेखा प्रस्तुत की। तीन दिनों तक चलने वाले इस सम्मेलन में 100 से अधिक शोध पत्रों तथा 30 से अधिक प्लेनरी व्याख्यानों की प्रस्तुति विभिन्न वैज्ञानिक सत्रों में की जा रही है। इन सत्रों में समेकित एवं वैयक्तिकृत आयुर्वेदिक स्वास्थ्य देखभाल, आयुर्वेद की वैश्विक स्वीकार्यता, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एवं कंप्यूटेशनल साइंसेज़, क्लिनिकल एवं प्रयोगात्मक अनुसंधान, न्यूट्रास्यूटिकल्स, रसायन, मर्म चिकित्सा, मानसिक स्वास्थ्य, वृद्धावस्था देखभाल तथा उभरती स्वास्थ्य चुनौतियों जैसे विषयों पर गहन विचार-विमर्श किया जा रहा है। उद्घाटन अवसर पर ICCRA-2025 स्मारिका का विमोचन भी किया गया। यह सम्मेलन 19 दिसंबर 2025 को संपन्न होगा और आयुर्वेद की वैज्ञानिक विश्वसनीयता एवं वैश्विक प्रासंगिकता को सुदृढ़ करने में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि सिद्ध होगा। रविन्द्र गुप्ता 151009219
