महानगर अध्यक्ष ने साधा केंद्र पर निशाना; कहा- 'काम के अधिकार' को खत्म कर मजदूरों के साथ किया जा रहा छल
फास्ट न्यूज़ इंडिया उत्तराखंड काशीपुर। महानगर कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष और वरिष्ठ कांग्रेस नेत्री अलका पाल ने केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा मनरेगा का स्वरूप बदलने पर कड़ा प्रहार किया है। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी रूरल एम्प्लॉयमेंट गारंटी एक्ट (MGNREGA) का नाम बदलकर 'विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन' (VB-GRAM G) करना केवल नाम बदलना नहीं, बल्कि गांधीवादी दर्शन और गरीबों के 'काम के अधिकार' की आत्मा पर सीधा हमला है।
'डिमांड' नहीं, अब 'फंड' तय करेगा मजदूर का भाग्य
अलका पाल ने तकनीकी बदलावों पर चिंता जताते हुए कहा कि मनरेगा पहले 'मांग आधारित' योजना थी, जिसमें मजदूर के काम मांगने पर सरकार उसे रोजगार देने के लिए बाध्य थी। लेकिन नई योजना में:
- अब काम केंद्र के पूर्व-निर्धारित बजट और मानकों के आधार पर मिलेगा।
- "फंड खत्म तो अधिकार खत्म" वाली नीति लागू की गई है।
- केंद्र का अंशदान 90% से घटाकर 60% कर दिया गया है, जिससे राज्यों पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा।
डिजिटल पेच में फंसेगा अनपढ़ मजदूर
कांग्रेस नेत्री ने आरोप लगाया कि नई स्कीम में बायोमेट्रिक्स, जियो-टैगिंग और पीएम गति शक्ति जैसे जटिल डिजिटल उपकरणों को अनिवार्य कर दिया गया है। उन्होंने सवाल उठाया कि जो ग्रामीण मजदूर तकनीक नहीं समझते, क्या उन्हें रोजगार से वंचित करने की यह एक सोची-समझी साजिश है?
खेती के सीजन में दो महीने काम न देने का प्रावधान मजदूरों को उनके भाग्य के भरोसे छोड़ने जैसा है। यह बदलाव बेरोजगारी कम करने के बजाय शोषण को बढ़ावा देगा। — अलका पाल
पंचायती राज को कमजोर करने की कोशिश
अलका पाल ने कहा कि मनरेगा के जरिए ग्राम सभाएं और पंचायतें मजबूत होती थीं, लेकिन नई व्यवस्था में निर्णयों का केंद्रीकरण कर दिया गया है। सरकारी खजाने के करोड़ों रुपये सिर्फ नाम बदलने और प्रचार में फूँके जा रहे हैं, जबकि जमीनी हकीकत में महंगाई और बेरोजगारी चरम पर है।
उन्होंने चेतावनी दी कि कांग्रेस पार्टी करोड़ों गरीबों और मजदूरों के हकों के साथ खिलवाड़ नहीं होने देगी और इस जनविरोधी बदलाव का पुरजोर विरोध करेगी। रिपोट शाहनूर अली उत्तराखंड 151045804

