वाराणसी । अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन "प्राकृतिक उत्पाद अनुसंधान में वर्तमान प्रवृत्तियाँ (सी-टी-एन-पी-आर 2025)" का उद्घाटन आज बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में हुआ, जिसका आयोजन महिला महाविद्यालय के वनस्पति और बायोइन्फॉर्मेटिक्स विभाग द्वारा मालवीय मूल्य अनुशीलन केंद्र में किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत भारत रत्न महामना पं. मदन मोहन मालवीय को पुष्प अर्पित करके और दीप प्रज्वलन से हुई।
प्रो. रीता सिंह, प्राचार्य, महिला महाविद्यालय ने स्वागत भाषण दिया और स्वास्थ्य सेवा नवाचार और सतत विकास में प्राकृतिक उत्पाद अनुसंधान के महत्व पर जोर दिया। सम्मेलन की अध्यक्षा प्रो. नीलम अत्री ने सहयोगात्मक और बहु-संस्थागत वैज्ञानिक सहभागिता को बढ़ावा देने के उद्देश्य पर प्रकाश डाला। संयोजक प्रो. के. एन. तिवारी ने सम्मेलन के थीमैटिक विज़न और वैज्ञानिक ढांचे की रूपरेखा प्रस्तुत की।
-विशिष्ठ अतिथि, प्रो. वीरानूट निस्सापैट्रोन ने भारत के साथ अपने लंबे समय से चले आ रहे शैक्षणिक संबंधों - जिसमें नई दिल्ली के लेडी हाडिंग मेडिकल कॉलेज में उनका प्रशिक्षण शामिल है - को याद किया और प्राकृतिक उत्पाद अध्ययन को आगे बढ़ाने के लिए भारत और थाईलैंड के बीच अनुसंधान सहयोग को मजबूत करने के महत्व को रेखांकित किया।
मुख्य अतिथि डॉ. सुदेश कुमार यादव, निदेशक, आई.एच.बी.टी. (हिमालयन औषधीय और सुगंधित पौधे संस्थान, पलामपुर) पलामपुर ने औषधीय और सुगंधित पौधों में ट्रांसलेशनल रिसर्च की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया और आई.एच.बी.टी. तथा साझेदार संस्थानों द्वारा की जा रही प्रमुख पहलों की जानकारी साझा की।
माननीय कुलपति प्रो. अजीत कुमार चतुर्वेदी ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि प्रकृति ने न केवल जैविक विज्ञान के क्षेत्र में बल्कि आधुनिक तकनीकों में भी नवाचार को हमेशा प्रेरित किया है - जैसे मानव मस्तिष्क से प्रेरित न्यूरल नेटवर्क। उन्होंने शोधकर्ताओं को सामाजिक दृष्टि से प्रभावशाली और प्रासंगिक वैज्ञानिक परिणाम प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित किया।
उद्घाटन सत्र का संचालन प्रो. रिचा रघुवंशी ने किया, प्रो. निशी कुमारी सह-संयोजक भी हैं। आयोजन सचिव डॉ. शची सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया और डॉ. राकेश पांडेय के साथ उद्घाटन कार्यक्रम का समन्वय किया। आयोजन गतिविधियों में समर्थन प्रदान किया। संयुक्त आयोजन सचिव डॉ. सुरेंद्र के. गोंड और डॉ. अपर्णा सिंह ने व्यवस्थाओं के सुचारू संचालन को सुनिश्चित किया, जबकि कोषाध्यक्ष डॉ. के. के. चौधरी और डॉ. विनोद के.कन्नौजिया ने वित्तीय प्रबंध का कुशलतापूर्वक संचालन किया। पूरी आयोजन समिति ने सभी गणमान्य व्यक्तियों, संकाय सदस्यों, विद्वानों और प्रतिभागियों को उनकी उत्साही उपस्थिति और सहयोग के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया। सभी गणमान्य व्यक्तियों ने सम्मेलन की थीम पर प्रोफेसर नीलम अत्री द्वारा बनाई गई पेंटिंग पर हस्ताक्षर किए ।। रविन्द्र गुप्ता
