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भारत-रूस शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए दिल्ली आए रूसी राष्ट्रपति
  • 151168597 - RAJESH SHIVHARE 200 4000
    08 Dec 2025 03:08 AM



भारत-रूस शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए दिल्ली आए रूसी राष्ट्रपति के सम्मान में शुक्रवार को राष्ट्रपति भवन में राजकीय भोज दिया गया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की ओर से दिए गए इस भोज में पुतिन के सामने एक बेहद दुर्लभ और महंगी डिश पेश की गई। जिसे देखकर रूसी राष्ट्रपति भी चौंक गए।

यह डिश बाजार में 40 हजार रुपये किलो में बिकती है, जिसकी वजह से हर कोई इसे नहीं खा सकता। बताते चलें कि रूसी राष्ट्रपति पुतिन के सम्मान में हुए इस विशेष डिनर का मेन्यू पूरी तरह शाकाहारी रखा गया था। इसमे भारत के विभिन्न हिस्सों में प्रचलित पारंपरिक व्यंजन शामिल किए गए थे। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय मंत्री और राजनयिक शामिल किए गए थे। भोज में पश्चिम बंगाल की गुड़ संदेश, उत्तर भारत की येलो दाल तड़का, दक्षिण भारत की मुरुक्कू, नेपाल-तिब्बत सीमा क्षेत्र के झोल मोमो और जम्मू-कश्मीर की गुच्ची डून चेतिन प्रमुख रही।

 कश्मीर की डिश रही खास आकर्षण

 

राष्ट्रपति भवन के भोज में शामिल गुच्ची डून चेतिन (भरवां गुच्ची मशरूम, अखरोट की चटनी के साथ) इस डिनर की खास डिश रही। इसकी बनावट मांस जैसी मानी जाती है, इसीलिए यह शाकाहारी मेहमानों के लिए विशेष विकल्प के रूप में परोसी गई।

 

वैश्विक स्तर पर पहचान

 

गुच्ची मशरूम को दुनिया की सबसे महंगी और दुर्लभ मशरूम में गिना जाता है। अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी इसकी भारी मांग है, खासकर हाई-एंड रेस्टोरेंट और लग्जरी होटल इंडस्ट्री में यही वजह है कि यह सामान्य पार्टियों में नजर नहीं आती।

 

क्या है गुच्ची मशरूम?

 

गुच्ची मशरूम एक जंगली फंगस है, जो मुख्य रूप से जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे हिमालयी राज्यों में पाई जाती है। इसे सामान्य तरीके से उगाया नहीं जा सकता। इसके बजाय यह केवल विशेष तापमान और मिट्टी की स्थिति में ही प्राकृतिक रूप से उगती है।

 

यह मशरूम आमतौर पर बर्फ पिघलने के बाद वसंत ऋतु में कुछ ही हफ्तों के लिए उपलब्ध होती है। कुछ मामलों में यह जंगलों में आग लगने के बाद भी उगती पाई गई है।

क्यों है इतनी महंगी?

गुच्ची मशरूम की कीमत बाजार में 35 हजार रुपये से 50 हजार रुपये किलो तक है. इसकी ऊंची कीमत के पीछे सबसे बड़ा कारण इसकी सीमित उपलब्धता, खेती की असंभवता और अधिक मांग है। ऊंचे पहाड़ी इलाकों में रहने वाले लोग हर साल सीमित समय के लिए इन मशरूम की तलाश में पहाड़ी और जंगली इलाकों में जाते हैं। यह प्रक्रिया बहुत जोखिम भरी होती है।

स्थानीय आजीविका का बड़ा स्रोत

यह मशरूम जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के ऊंचे ग्रामीण इलाकों में आय का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। कई परिवार इसी मौसम में गुच्ची इकट्ठा कर बाजारों और व्यापारियों को बेचते हैं। जिससे उन्हें सालभर की आमदनी हो जाती है। इस मशरूम का इस्तेमाल पारंपरिक औषधि और विशेष व्यंजनों में भी किया जाता है। रिपोट - राजेश शिवहरे 151168597



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