फास्ट न्यूज इंडिया यूपी अयोध्या। अंतर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त श्रीमद्भागवत कथा वाचक, परम श्रद्धेय श्री राधेश शास्त्री जी महाराज ने आज अपने दिव्य प्रवचन में भक्तों को बताया कि— “धूप से मुरझाए पौधे के लिए थोड़ा-सा जल भी जीवन का वरदान बन जाता है, उसी प्रकार नैराश्य की ज्वाला में झुलस रहे किसी व्यक्ति के लिए एक क्षण का सहारा भी प्राणदायक सिद्ध होता है।”उन्होंने कहा कि ईश्वर ने मनुष्य को केवल समाज में रहने के लिए ही नहीं बनाया, बल्कि समाज के अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति तक पहुँचकर उसे साथ लेकर चलने का दायित्व भी सौंपा है।समाज में घटित होने वाली प्रत्येक घटना के प्रति संवेदनशील रहना, दूसरों की वेदनाओं को महसूस करना और अपनी सामर्थ्य अनुसार सहारा बनना ही सच्चे सामाजिक और मानवीय जीवन की पहचान है।शास्त्री जी महाराज ने कहा“जो लोग निराशा, विषाद या अभाव में जीवन व्यतीत कर रहे हैं, उनसे जुड़े रहना और उनकी सहायता करना ही स्वस्थ समाज के निर्माण का आधार है।”तुलसीदास जी की पंक्तियों को उद्धृत करते हुए उन्होंने भाव-विभोर किया:परहित बस जिनके मन माहिं,तिन्ह कहुं जग दुर्लभ कछु नाहीं..."अंत में शास्त्री जी ने सभी भक्तों को मानवता, संवेदना और परोपकार को ही परम धर्म मानकर जीवन जीने का संदेश दिया। रिपोर्ट विशाल रावत 151019049
