भारत को 2030 तक बाल विवाह मुक्त बनाने के केंद्र सरकार के संकल्प और बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के एक वर्ष पूर्ण होने पर जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन (Phase-4) तथा विदिशा सोशल वेलफेयर ऑर्गेनाइजेशन ने जिले में चल रहे ‘100 दिवसीय गहन जागरूकता अभियान’ को सफल बनाने के लिए सभी सरकारी विभागों के साथ करीबी समन्वय से कार्य करने का निश्चय दोहराया है।
संगठन लंबे समय से शिवपुरी जिले में बाल विवाह रोकथाम के लिए जमीनी स्तर पर कार्य कर रहा है।
नई दिल्ली में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने ‘बाल विवाह मुक्त भारत’ अभियान के तहत ‘100 दिवसीय गहन जागरूकता अभियान’ का शुभारंभ किया। इस अभियान का उद्देश्य उन सामाजिक कारणों और परिस्थितियों को खत्म करना है, जो देश में बाल विवाह को बढ़ावा देते हैं।
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा कि स्पष्ट नीतियों और लगातार हो रही कार्रवाई के चलते भारत तेज़ी से बाल विवाह मुक्त राष्ट्र बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
केंद्र सरकार द्वारा जारी अधिसूचना में सभी राज्यों से इस अभियान को सफल बनाने के लिए आवश्यक कदम उठाने को कहा गया है। इसके बाद राज्य सरकार ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, पंचायती राज, ग्रामीण विकास, स्कूल शिक्षा तथा उच्च शिक्षा विभाग को अभियान में सक्रिय सहभागिता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।
जिले में मिल रहे निरंतर सहयोग के लिए संगठन के प्रतिनिधि राम रघुवंशी ने कहा—
“जिला प्रशासन बाल विवाह के खात्मे के लिए लगातार प्रभावी प्रयास कर रहा है। हमारी सफलताएं प्रशासन के साथ करीबी समन्वय का परिणाम हैं। जब देश का शीर्ष नेतृत्व बाल विवाह समाप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है, तो निश्चित है कि हम 2030 से पहले ही इस अपराध को पूरी तरह खत्म करने में सफल होंगे। दुनिया जिसे कभी असंभव मानती थी, वह आज भारत में संभव होता दिख रहा है, और इसका हिस्सा होना गर्व की बात है।”
जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन देश में बाल अधिकारों के लिए कार्यरत सबसे बड़े नेटवर्कों में से एक है। इसके 250 से अधिक सहयोगी संगठन ज़मीनी स्तर पर सक्रिय हैं। पिछले एक वर्ष में इस नेटवर्क ने देशभर में एक लाख से अधिक बाल विवाह रोके है!
100 दिवसीय अभियान की रणनीति
अभियान को तीन चरणों में विभाजित किया गया है और इसका अंतिम चरण 8 मार्च 2026 — अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर समाप्त होगा।
पहला चरण:
स्कूलों, कॉलेजों और शिक्षण संस्थानों में व्यापक जागरूकता।
दूसरा चरण:
मंदिर, मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारे जैसे विवाह स्थलों पर जनजागरूकता।
बैंक्वेट हॉल, विवाह बैंड, हलवाई और अन्य सेवा प्रदाताओं को शामिल कर जागरूकता।
तीसरा चरण:
ग्राम पंचायतों, नगरीय वार्डों में समुदाय आधारित सहभागिता को मजबूत करना।
समुदाय स्तर पर बाल विवाह रोकने की जिम्मेदारी तय करना।
जिला प्रशासन को इस कार्ययोजना की विस्तृत जानकारी पहले ही भेजी जा चुकी है, ताकि अभियान के लक्ष्यों को समयबद्ध तरीके से पूरा किया जा सके।

