गौरतलब यह भी है दिल्ली के नाम बदलने को लेकर भी चर्चा तेज हो रही है। एक तरफ अंग्रेजी में भी दिलही को दिल्ली लिखे जाने की भाजपा के वरिष्ठ नेता पर पूर्व केंद्रीय मंत्री विजय गोयल ने मांग की है तो वहीं दूसरी ओर भाजपा के सांसद प्रवीन खंडेलवाल ने दिल्ली का नाम बदलकर इंद्रप्रस्थ रखे जाने की मांग उठा दी है। हालांकि विश्व हिन्दू परिषद भी दिल्ली का नाम इंद्रप्रस्थ रखे जाने की मांग उठ चुका है। सूत्राें की मानें तो इन मुद्दों को देखते हुए भी दिल्ली कैबिनेट में चर्चा हो सकती है और संभव है कि लोगों में भी कुछ प्रतीक बदले जा सकते हैं।
बता दें कि दिल्ली के अपने इतिहास में पहली बार है कि दिल्ली को एक अपना लोगो मिलने वाला है, जो शहर की विरासत से लेकरी दिल्ली के माडल लुक विभिन्न मुद्दों को शामिल किते हुए तैयार किया जा रहा है। मनाया जाता है कि यह प्रतीक राजधानी के प्रशासनिक और सांस्कृतिक विकास में एक महत्वपूर्ण रूप से मील का पत्थर साबित होगा।
अधिकारियों के अनुसार, इस साल की शुरुआत में MyGov प्लेटफार्म पर आयोजित एक देशव्यापी डिज़ाइन प्रतियोगिता के माध्यम से इसके लिए 1,800 से ज़्यादा एंट्री मिलीं। डिज़ाइनों की समीक्षा एक चयन पैनल द्वारा की गई और बाद में मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता द्वारा अंतिम मंज़ूरी के लिए शार्टलिस्ट किया गया। अधिकारियों ने कहा कि जीतने वाला डिज़ाइन दिल्ली के 'इतिहास और इनोवेशन के भावपूर्ण सह-अस्तित्व' को दिखाता है। जबकि ज़्यादातर भारतीय राज्यों के पास लंबे समय से अपनी पहचान दिखाने वाले ऑफिशियल प्रतीक हैं
इस तरह का होगा दिल्ली का लोगो
दिल्ली सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी के लिए एक विशिष्ट दृश्यात्मक आदर्श तैयार करना है जो आधुनिक, पारदर्शी और नागरिक-केंद्रित शासन को प्रतिबिंबित करे। विरासत और विकास को प्रदर्शित करे। संस्कृति, लोकतंत्र और नवाचार का प्रतीक हो। दिल्ली को एक पहचान योग्य, वैश्विक ब्रांड के रूप में प्रस्तुत करे। नागरिक भागीदारी, प्रगति और प्रौद्योगिकी का प्रतिनिधित्व करे। तुलनात्मक रूप से, दिल्ली के लोगो से एक महानगरीय पहचान का संदेश मिलने की उम्मीद है।
