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गाय विश्व की माता है- धर्माचार्य ओमप्रकाश पांडे अनिरुद्ध रामानुज दास
  • 151019049 - VISHAL RAWAT 0 0
    29 Oct 2025 19:33 PM



फास्ट न्यूज इंडिया यूपी प्रतापगढ़। सर्वोदय सद्भावना संस्थान द्वारा रामानुज आश्रम एवं हर्ष डेरी में गोपाष्टमी धूमधाम से मनाई गई। इस अवसर पर वेद मंत्रों के मध्य गाय का पूजन अर्चन करने के पश्चात धर्माचार्य ओम प्रकाश पांडे अनिरुद्ध रामानुज दास ने कहा कि गीता गंगा गायत्री और गाय हमारी भारतीय संस्कृति एवं सनातन धर्म की पहचान है। गाय के दूध के अंतर्गत अनेक गुण पाए जाते हैं। गाय के दूध में कैरोटीन नामक एक प्रोटीन होता है जिसके कारण इनका दूध पीले रंग का होता है इसका कारण है गाय की जो मेरुदंड होती है उस पर जब सूरज की किरणें पड़ती हैं तो उसका प्रभाव पड़ने के कारण ऐसा होता ह दूध में विलिस बिन की मात्रा भी अधिक पाई जाती है। आज ही के दिन भगवान श्री कृष्ण जब 5 वर्ष के हुए तो माता यशोदा और नंद बाबा से आज्ञा लेकर अपने बड़े भाई शेषावतार बलराम जी के साथ जंगल में गायों को चराने के लिए गए। माता यशोदा ने गायों का पूजन कराया कन्हैया से आपका नाम गोपाल रखा। गायों की आरती पूजन आपसे कराया। गौ चराने वन में आप गए उसे ताल वन कहते हैं। उस वन में एक राक्षस रहता था जिसका नाम धेनुकासुर था। उस  असुर को बलराम जी ने सात बार आसमान में घुमा कर धड़ाम से पटक दिया और उसका उद्धार किया। गायों की और ग्वाल बालों की रक्षा किया आप गोपालक कहलाए। गाय गोपी गोवर्धन और गोपालक भगवान को बहुत ही प्रिय हैं। पद्म पुराण के अनुसार गाय के मुख में चारों वेदों का निवास है। उसके सींगों में भगवान शंकर और विष्णु सदा विराजमान रहते हैं। गाय के उदर में कार्तिकेय मस्तक में ब्रह्मा ललाट में रूद्र शिव और उसके अग्रभाग में दोनों कानों में अश्विनी कुमार नेत्रों में सूर्य और चंद्रमा दांतों में गरुड़ जी जीभ में सरस्वती अपान गुदा में सारे तीर्थं मूत्र स्थान में गंगा जी रोम कूपों में ऋषि गण पृष्ठ भाग में यमराज दक्षिण पार्श्व में वरुण एवं को देव कुबेर वाम पार्श्व में महाबली यक्ष मुख के भीतर गंधर्व पिछले भाग में तथा अप्सराएं स्थित रहती हैं। भविष्य पुराण स्कंद पुराण ब्रह्मांड पुराण महाभारत में भी गौ माता के अंग प्रत्यंग में देवी देवताओं की स्थिति का विस्तार से वर्णन मिलता है। आज गायों के संरक्षण और गौ संवर्धन की आवश्यकता है, किंतु कुछ लोग गायों का दूध दुहने के पश्चात उन्हें छोड़ देते हैं और वह गाएं भटकती रहती है। जिन्हें लोग आवारा पशु कहते हैं, जबकि आवारा वह लोग हैं जो गायों को छोड़ देते हैं। एक प्रथा और चल गई है कि कुछ लोग गौशाला के नाम पर चाहे वह सरकारी धन पा रहे हों और चाहे जनता के द्वारा दान में प्राप्त कर रहे हैं। गायों की सही ढंग से सेवा नहीं करते हैं। उन्हें सही चारा भोजन नहीं दिया जाता है। इसलिए ऐसे लोग जो गायों के चारे को खा रहे हैं चाहे वह सरकारी धन हो चाहे लोगों द्वारा दान प्राप्त किया गया है। यदि वह गायों की सेवा नहीं करेंगे तो निश्चित उन्हें नर्क में जाना पड़ेगा या ध्रुव सत्य है। "गावो विश्वस्य मातर:" गाय विश्व की माता है। भारत के अंदर गायों की 43 प्रजातियां पाई जाती हैं। ऋग्वेद में गायों के महत्व का विशेष रूप से वर्णन किया गया है। पूजन के समय पं दिनेश शर्मा प्रतिनिधि डॉक्टर महेंद्र सिंह एम एल सी पूर्व मंत्री, नारायणी रामानुज दासी डॉक्टर मुकुल उपाध्याय हर्ष उपाध्याय उत्कर्ष उपाध्याय पुलकित यादव विक्की लाल साधु अखिलेश पांडे श्रीमती निधि सिंह पूर्व प्रधान शेषमणि पांडे आरविका पांडे (छोटेलाल)  सहित अनेक भक्तगण उपस्थित रहे। रिपोर्ट विशाल रावत 151019049



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