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कार्तिक शुक्ल द्वितीया को यमराज ने अपनी बहन यमुना के यहां किया था भोजन- धर्माचार्य ओमप्रकाश पांडे अनिरुद्ध रामानुज दास
  • 151019049 - VISHAL RAWAT 0 0
    25 Oct 2025 19:54 PM



फास्ट न्यूज इंडिया यूपी प्रतापगढ़। प्रतापगढ़ नरेश निकुंज सदर बाजार में यम द्वतीया धूमधाम से मनाई गई। श्रीमती निर्मला द्विवेदी रामानुज दासी ने अपने भ्राता धर्माचार्य ओम प्रकाश पांडे अनिरुद्ध रामानुज दास का पूजन अर्चन करके उन्हें सुमधुर स्वादिष्ट भोजन प्रसाद पवाया। इस अवसर पर धर्माचार्य ने अपनी बहन को दक्षिणा आदि तथा भगवान श्री जगन्नाथ जी का महाप्रसाद प्रदान करने के पश्चात कहा कि आज से कार्तिक मास शुक्ल पक्ष का शुभारंभ हो गया है। स्नान दान और श्राद्ध की अमावस्या के अतिरिक्त इस माह में सनातन धर्म के कई महत्वपूर्ण त्योहार धार्मिक तिथियां और उत्सवों का आगमन हो रहा है, विशेष कर अन्नकूट गोवर्धन पूजा भैया दूज डाला छठ गोपाष्टमी अयोध्या मथुरा में परिक्रमा का शुभारंभ और भगवान श्रीमन्नारायण जो राजा बलि के यहां योग निद्रा में शयन कर रहे हैं एकादशी के दिन वह भी उठेंगे। तुलसी विवाह देव दीपावली तथा जो शुभ कार्य रुके हुए थे विवाह आदि उनका शुभारंभ भी दिनांक 2 नवंबर से प्रारंभ हो जाएगा, किंतु अबकी विवाह की तिथियां 22 नवंबर से प्रारंभ होंगी। कार्तिक पूर्णिमा को भगवान राजराजेश्वर के रूप में श्री जगन्नाथ पुरी में विराजेंगे। आज यम द्वितीया है शास्त्रों के अनुसार आज ही के दिन यमराज जिन्हें धर्मराज भी कहा जाता है अपनी बहन यमुना जी के यहां भोजन करने गए थे तब से यह परंपरा चली आ रही है। यम द्वतीया के दिन बहन के यहां दोपहर में जाकर भोजन प्रसाद करना चाहिए और वहां अपनी शक्ति के अनुसार वस्त्र आभूषण धन आदि बहनको देना चाहिए। इससे बहन और भाई दोनों को पुण्य प्राप्त होती है। भाई की उम्र लंबी होती है और भाई स्वस्थ रहता है तथा बहन सुहागिन रहती है। इसलिए आज के दिन भाइयों को अपनी बहन के घर जाकर भोजन प्रसाद लेकर के उन्हें दान दक्षिणा यथा शक्ति देनी चाहिए। आज के दिन चित्रगुप्त भगवान का भी पूजन होता है। लोग कहते हैं कि चतुर्थ वर्णों में कायस्थ का नाम कहीं नहीं है, किंतु उन्हें जानकारी नहीं है कि धर्मराज के सहायक के रूप में ब्रह्मा जी ने चित्रगुप्त को अपनी काया से प्रकट किया इसीलिए वह कायस्थ कहलाए। उन्हें किसी भी जीव के किए हुए कर्मों का लेखा-जोखा करने की जिम्मेदारी प्रदान किया। सुशर्मा नामक ब्राह्मण की कन्या इरावती से चित्रगुप्त का विवाह किया। उस कन्या से चित्रगुप्त के आठ पुत्र उत्पन्न हुए जिनके नाम है चारु ,सुचारू, चित्र, मतिमान, हिमवान, चित्रचारु, अरुण और आठवां अतीन्द्रिय। दूसरी स्त्री जो मनु की कन्या दक्षिणा थी चित्रगुप्त से ब्याही गई उसके चार पुत्र हुए उनके नाम है भानु विभानु, विश्वभानु और वीर्यवान चित्रगुप्त के 12 पुत्र विख्यात हुए। उनमें से चारु मथुरा जी को गए और वहां रहने से मथुरा हुए। सूचारू गौड़ बंगाल को गए इससे वह गौड़ हुए। चित्र भट्टनदी के पास के नगर में गए इससे वह भटनागर कहलाए। श्रीवास नगर में भानु बसे इस कारण भटनागर कहलाए। आज चित्रगुप्त भगवान का पूजन करना चाहिए तथा इस दिन मृत्यु के देवता यमराज की भी पूजा की जाती है। कार्यक्रम में मुख्य रूप से इं आलोक समदरिया रामानुज दास, श्रीमती निर्मला दुबे रामानुजदासी, नारायणी रामानुज दासी, डॉ अवंतिका पांडे ,आदित्य समदरिया, विश्वम प्रकाश पांडे, मीनू पांडे, स्निगधा समदरिया ,उन्नति पांडे, लाडो समदरिया, आरविका पांडे उर्फ छोटेलाल सहित अनेक लोग उपस्थित रहे। रिपोर्ट विशाल रावत 151019049



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