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बाबा दरबार प‍र‍िक्षेत्र में मां अन्‍नपूर्णा का भक्‍तों को म‍िल रहा खजाना, देवी के मूर्त‍ि की अनोखी है कहानी
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    19 Oct 2025 18:06 PM



वाराणसी। धनतेरस के पावन अवसर पर, श्री काशी विश्वनाथ धाम में मंगला आरती के उपरांत माता अन्नपूर्णा विग्रह पर माँ की आरती के बाद श्रद्धालुओं के बीच प्रसाद स्वरूप खजाना वितरण की शुभ शुरुआत की गई। इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे, जिन्होंने माता अन्नपूर्णा के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त की।

धनतेरस का पर्व धन और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इस दिन विशेष रूप से पूजा-अर्चना कर माँ लक्ष्मी के स्वागत की तैयारी की जाती है। माता अन्नपूर्णा, जो अन्न और समृद्धि की देवी मानी जाती हैं, के प्रति श्रद्धा व्यक्त करना इस दिन का विशेष महत्व है।

इस कार्यक्रम के अंतर्गत श्रद्धालुओं को खजाना वितरण किया जा रहा है, जो अनवरत अन्नकूट पर्व (22/10/2025) तक समारोह पूर्वक चलेगा। दरअसल, काशी से तस्करी कर देवी अन्नपूर्णा की मूर्ति को विदेश ले जाया गया था। बाद में यह मूर्ति विदेश से वापस लाने के बाद बाबा दरबार परिसर में स्थापित किया गया।

इसके बाद से ही आस्थावानों की कतार बाबा के दर्शन के बाद यहाँ भी लगती है। इसी कड़ी में मंदिर प्रशासन ने मूर्ति के आगमन के बाद से ही परंपरागत तरीके से मूर्ति पूजन और खजाना वितरण का कार्य शुरू कराया था, जिसकी शुरुआत धनतेरस के समय से हो जाती है। यहाँ भक्तों को अन्न धन का आशीर्वाद और खजाना मिलता है।

मंदिर प्रशासन ने इस आयोजन की जानकारी को भी साझा किया है। धनतेरस के दिन, जब श्रद्धालु माता अन्नपूर्णा की आरती में शामिल होते हैं, तब उनके मन में समृद्धि और खुशहाली की कामना होती है। इस अवसर पर खजाना वितरण का कार्य श्रद्धालुओं के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह उन्हें अन्न और धन के आशीर्वाद का प्रतीक माना जाता है।

धनतेरस का पर्व भारतीय संस्कृति में विशेष स्थान रखता है। इसे धन की देवी लक्ष्मी के स्वागत के लिए मनाया जाता है। इस दिन लोग नए बर्तन, सोना, चांदी आदि खरीदते हैं, ताकि वे अपने घर में समृद्धि और खुशहाली ला सकें। माता अन्नपूर्णा की पूजा इस दिन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, क्योंकि वह अन्न और समृद्धि की देवी मानी जाती हैं।

इस वर्ष, धनतेरस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में श्रद्धालुओं की संख्या भी अपार है। भक्तों ने माता अन्नपूर्णा के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हुए खजाना प्राप्त किया। मंदिर प्रशासन ने इस आयोजन को सफल बनाने के लिए सभी आवश्यक व्यवस्थाएँ की थीं।

धनतेरस के इस पावन पर्व पर, श्रद्धालुओं ने न केवल माता अन्नपूर्णा की आरती में भाग लिया, बल्कि उन्होंने अपने परिवार और समाज के लिए समृद्धि की कामना भी की। इस प्रकार, यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह सामाजिक एकता और समृद्धि का भी संदेश देता है।

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