EPaper LogIn
एक बार क्लिक कर पोर्टल को Subscribe करें खबर पढ़े या अपलोड करें हर खबर पर इनकम पाये।

अहमदाबाद विमान हादसे में जिंदा बचे विश्वकुमार रमेश अब जिंदगी से हार गए है।
  • 151168597 - RAJESH SHIVHARE 0 4
    15 Oct 2025 20:39 PM



फ़ास्ट न्यूज़ इंडिया 12 जून 2025 को अहमदाबाद से उड़ान भरने वाली फ्लाइट AI171 सिर्फ 40 सेकंड तक आसमान में रही और फिर हो गई। वो विमान आसमान में नहीं बल्कि आग में गुम होकर राख में तब्दील हो गया। और उसी राख में से एक शख्स बाहर निकला जिंदा लेकिन अंदर से पूरी तरह टूटा हुआ। इतना टूटा कि आज वह खुद कहता है काश मैं उसी प्लेन में रह जाता। उसका नाम है विश्वकुमार रमेश। कभी-कभी ऐसा भी होता है कि जिंदगी एक हादसे में खत्म नहीं होती और वह हादसा जिंदगी बन जाता है। आज क्लियर कट में उसी एक शख्स की कहानी जो अहमदाबाद विमान हादसे में जिंदा बच गया।

मगर अब जी भी नहीं पा रहा। 12 जून 2025 को अहमदाबाद के सरदार वल्लभ भाई पटेल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से उड़ान भरने के फौरन बाद एयर इंडिया की उड़ान नंबर 171 l हो गई। लंदन जाने वाला यह बोइंग 787 ड्रीम लाइनर विमान तकरीबन 40 सेकंड के लिए ही हवा में रहा और फिर 1.7 कि.मी. दूर ही वो एक बिल्डिंग से टकरा गया। इस प्लेन की टाइमलाइन पर नजर डालें तो दोपहर 1:38 39 सेकंड पर विमान ने रनवे से उड़ान भरी। 1:38 और 42 सेकंड पर विमान की मैक्सिमम स्पीड 180 नॉट दर्ज की गई। इसके फौरन बाद दोनों इंजनों के फ्यूल स्विच कट ऑफ मोड में चले गए। 1:39 और 5 सेकंड पर पायलटों ने मेड ए संकट कॉल जारी किया। 1:39 और 19 सेकंड पर यह विमान अहमदाबाद के बीजे मेडिकल कॉलेज के एक स्टूडेंट हॉस्टल की छत से जा टकराया।

इस फ्लाइट में 242 लोग सवार थे। जिनमें से सिर्फ 40 साल के ब्रिटिश भारतीय बिजनेसमैन विश्वास कुमार रमेश ही जिंदा बचे। 241 लोग मारे गए। जिनमें रमेश के भाई अजय भी शामिल थे। दृश्य इतना भयानक था कि चश्मदीदों ने कहा ऐसा लगा जैसे सूरज फट गया हो।

 

रमेश विमान के इमरजेंसी एग्जिट के पास की सीट नंबर 11 ए पर बैठे थे। विमान का वह हिस्सा जहां वह बैठे थे ऊपर गिरने के बजाय अलग होकर एक छात्रावास के ग्राउंड पर जा गिरा था। वह उस जगह से बचकर निकलने में कामयाब रहे क्योंकि इमरजेंसी एग्जिट का दरवाजा टूट गया था। बेहोश और खून से लथपथ उन्हें एंबुलेंस में ले जाने से पहले मलबे से दूर जाते हुए उनका वीडियो सामने आया था। उन्हें कटने और जलने समेत कई मामूली चोटें आई थी। अस्पताल में 5 दिन बिताने के बाद उन्हें छुट्टी दे दी गई और बाद में उन्हें अपने भाई के अंतिम संस्कार में शामिल होते देखा गया।

 



Subscriber

188051

No. of Visitors

FastMail