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90 दिन में सीखी जर्मनी की ट्रैफिक इंजीनियरिंग
  • 151000002 - RASHMI TRIPATHI 0 0
    14 Oct 2025 19:19 PM



वाराणसी। काशी में मेरी इतनी भक्ति है कि हर संभव योगदान इसके विकास में देना चाहता हूं। प्राचीन बनारस को आधुनिक सुविधाओं वाले शहर और बेहतर पर्यटन के साथ विकसित होते देखना चाहता हूं। ये कहना है दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी क्लाउड स्टोरेज प्लेटफॉर्म बनाने वाली टीम के साथ काम रहे आईआईटी बीएचयू के मैथमेटिकल एंड कंप्यूटिंग साइंसेज ब्रांच के टॉपर आदित्य कुलकर्णी का। आदित्य का माइक्रोसॉफ्ट इंडिया में क्लाउड स्टोरेज सिस्टम के लिए संस्थान से ही 51 लाख के पैकेज पर कैंपस प्लेसमेंट हुआ था। 16 अक्तूबर को आईआईटी बीएचयू के 14वें दीक्षांत समारोह में मुख्य मंच से उन्हें डायरेक्टर्स गोल्ड मेडल दिया जाएगा। 

दूसरी ओर आईआईएम अहमदाबाद से एमबीए कर रहीं अनन्या सिंह को प्रेसीडेंट गोल्ड मेडल सहित कुल 17 मेडल दिए जाएंगे। वहीं तीसरे मेधावी आईआईटी बीएचयू से बीटेक कर जर्मनी की ट्रैफिक इंजीनियरिंग पर 90 दिनों की इंटर्नशिप कर चुके सिविल इंजीनियरिंग के टॉपर सुयश विजय को भी डायरेक्टर मेडल दिया जाएगा। अमर उजाला ने तीोनों ही मेधावियों से बात की

बचपन से विज्ञान और गणित से था लगाव

पुणे के आदित्य कुलकर्णी को आईडीडी इंटीग्रेटेड डुअल डिग्री में सबसे ज्यादा स्कोर करने पर उन्हें डायरेक्टर मेडल दिया जाएगा। आदित्य एज्योर ब्लॉब स्टोरेज टीम के साथ डिजाइन पर काम कर रहे हैं। उनका कहना है कि बनारस ने उन्हें एक बच्चे से एक अनुभवी व्यक्ति बना दिया। पिता गजानन कुलकर्णी पुणे में टाटा में डिवीजनल मैनेजर हैं और मां अंजलि कुलकर्णी एक गृहिणी। आदित्य का इंजीनियरिंग से पहले बचपन से ही विज्ञान और गणित से बहुत लगाव था। तर्क करना और नया कुछ करने की जिज्ञासा ने पथ प्रदर्शन किया। 
इस ब्रांच ने बनाई एनालिसिस करने की क्षमता
आदित्य ने कहा कि जीवन को बेहतर बनाने में कंप्यूटर साइंस और मैथ का भी योगदान है। दोनों विषयों को इतना बेहतर मिक्स किया गया था कि एनालिसिस करने की क्षमता बढ़ी। इस स्किल को सीखने के बाद इंटर्नशिप श्रोडिंगर और बाद में माइक्रोसॉफ्ट रिसर्च कंपनी में दो मौके मिले। प्रोफेसर और थीसिस सलाहकार प्रो. संजय कुमार पांडेय ने शैक्षणिक और व्यक्तिगत विकास पर अपना मार्गदर्शन दिया। 
आदित्य ने बताया कि मैथमेटिकल एंड कंप्यूटिंग ब्रांच में रिसर्च और इंजीनियरिंग की ढेरों गुंजाइश हैं। कोर्स के मल्टी डिसीप्लीनेरी नेचर ने सॉफ्टवेयर विकास, नियमित रिसर्च और डेटा साइंस के बारे में कई जानकारियां मिलीं। इससे संभावनाओं के कई द्वार खुले। प्रॉब्लम सॉल्विंग मेंटालिटी भी मजबूत हुई। 

स्टार्टअप से बनाएंगे बिजनेस, दूंगा नौकरियां : सुयश विजय 

मेरा गुरुग्राम की एक कंपनी में कैंपस प्लेसमेंट हुआ। आगे स्टार्टअप के माध्यम से बड़ा बिजनेस सेटअप करना है। इससे नौकरियों की संभावनाएं बढ़ाई जाएंगी। सबसे शानदार अनुभव जर्मनी में इंटर्नशिप करना रहा। वहां की ट्रैफिक इंजीनियरिंग ने भारत में काम करने के नए पैंतरे सुझाए। अनन्या ने बताया कि हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड से इंटर्नशिप पूरी करने के बाद प्री-प्लेसमेंट ऑफर मिला। हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड ग्लोबल लक्स टीम के साथ दो प्रोजेक्ट पर काम किया। इस दौरान प्रोडक्ट इनोवशन मैनेजमेंट की जानकारी हुई। अनन्या ने कहा, अनन्या के पिता प्रवीण कुमार इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड में उप महाप्रबंधक हैं। मां किरण फरासवाल गृहिणी हैं। एक छोटी बहन भी है।

गंगा आरती ने अराजकता में शांति-विश्वास सिखाई

आदित्य ने कहा, सच ही कहा गया है कि जो भी काशी आता है, वह काशी के साथ हो जाता है। शहर के आध्यात्मिक कलेवर और ऐतिहासिक आकर्षण ने बहुत गहरी छाप छोड़ी। अस्सी और दशाश्वमेध घाटों पर गंगा आरती ने शांति और विश्वास करना सिखाया। सबसे यादगार तो भव्य देव दीपावली रही।

सदा पुराना ही बना रहे बनारस
सुयश ने कह। धरती का सबसे पुराना शहर बनारस का यह स्वरूप सदा ऐसा ही बना रहे, यही मेरी कामना है। बनारस को कभी भूल नहीं सकता। काशी विश्वनाथ की शयन आरती, अस्सी घाट की गंगा आरती, गंगा किनारे शाम गुजारना सब कुछ लगता है पीछे छूट गया।

काशी ने बताया- तरक्की हमेशा तेजी में नहीं होती
काशी ने धैर्य, सादगी और मन की शांति की भावना सिखाई। गंगा के पास की शांति और अस्सी घाट के पुरानी वादियों ने एहसास दिलाया कि तरक्की हमेशा तेजी से नहीं होती, कभी-कभी इससे परे भावनाओं और सोच-विचार का भी प्रभाव होता है। इस शहर ने मुझे याद दिलया कि तकनीक और महत्वाकांक्षा दुनिया को आगे बढ़ाती है तो मूल्य, समुदाय और संस्कृति जड़ों में जमाए रखती है।
 

 

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