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इस गुड़िया को खरीदने के लिए तुम्हारे पास पर्याप्त पैसे नहीं हैं।”
  • 151168597 - RAJESH SHIVHARE 0 4
    24 Sep 2025 08:47 AM



मैं एक दुकान में खरीददारी कर रहा था, तभी मैंने उस दुकान के कैशियर को लगभग 6 साल की एक लड़की से बात करते हुए देखा।

 कैशियर बोला —

 “माफ़ करना बेटा, लेकिन इस गुड़िया को खरीदने के लिए तुम्हारे पास पर्याप्त पैसे नहीं हैं।”

फिर उस छोटी-सी लड़की ने मेरी ओर मुड़कर मुझसे पूछा —

 “अंकल, क्या आपको यह लगता है कि मेरे पास पूरे पैसे नहीं हैं?”

मैंने उसके पैसे गिने और उससे कहा —

 “हाँ बेटे, यह सच है कि तुम्हारे पास गुड़िया को खरीदने के लिए पूरे पैसे नहीं हैं।”

वह नन्ही-सी लड़की अभी भी अपने हाथों में गुड़िया थामे खड़ी थी। मुझसे रहा नहीं गया। इसके बाद मैंने उसके पास जाकर उससे पूछा —

 “यह गुड़िया तुम किसे देना चाहती हो?”

तो उसने उत्तर दिया —

 “यह वही गुड़िया है जो मेरी बहन को बहुत पसंद है, और मैं इसे उसके जन्मदिन के लिए उपहार में देना चाहती हूँ।

 लेकिन पहले मुझे इसे अपनी मम्मी को देना है, ताकि बाद में मम्मी जाकर मेरी बहन को दे दें।”

यह कहते-कहते उसकी आँखें नम हो आईं।

 उसने कहा —

 “मेरी बहन भगवान के घर चली गई है और मेरे पापा कहते हैं कि मेरी मम्मी भी जल्दी ही भगवान से मिलने वाली हैं।

 तो मैंने सोचा कि क्यों ना वो इस गुड़िया को अपने साथ ले जाकर मेरी बहन को दे दें।”

मेरा दिल बहुत तेजी से धड़क रहा था। उसने यह सारी बातें एक सांस में ही कह डालीं और फिर मेरी ओर देखकर बोली —

 “मैंने पापा से कह दिया है कि मम्मी से कहना कि वह अभी ना जाएँ।

 वो मेरा दुकान से लौटने तक इंतज़ार करें।”

फिर उसने मुझे एक बहुत प्यारा-सा फोटो दिखाया, जिसमें वह खिलखिलाकर हंस रही थी।

 इसके बाद उसने मुझसे कहा —

 “मैं चाहती हूँ कि मेरी मम्मी मेरी यह फोटो भी अपने साथ ले जाएँ, ताकि मेरी बहन मुझे भूल न पाए।

 मैं अपनी मम्मी से बहुत प्यार करती हूँ और मुझे नहीं लगता कि वो मुझे ऐसे छोड़कर जाने के लिए राजी होंगी।

 पर पापा कहते हैं कि उन्हें मेरी छोटी बहन के साथ रहने के लिए जाना ही पड़ेगा।”

इसके बाद उसने उस गुड़िया को निराश आँखों से खामोशी से देखा।

 मेरे हाथ जल्दी से अपने बटुए तक पहुँचे और मैंने उससे कहा —

 “चलो, एक बार और गिनती करके देखते हैं कि तुम्हारे पास गुड़िया के लिए पर्याप्त पैसे हैं या नहीं।”

उसने कहा —

 “ठीक है, पर मुझे लगता है मेरे पास पूरे पैसे हैं।”

इसके बाद मैंने उससे नज़रें बचाकर कुछ पैसे उसमें जोड़ दिए और फिर हमने उन्हें गिनना शुरू किया।

 अब पैसे उसकी गुड़िया के लिए काफी थे, यही नहीं, कुछ पैसे अतिरिक्त भी बच गए थे।

नन्ही-सी लड़की ने कहा —

 “भगवान का लाख-लाख शुक्र है मुझे इतने सारे पैसे देने के लिए।”

फिर उसने मेरी ओर देखकर कहा —

 “मैंने कल रात सोने से पहले भगवान से प्रार्थना की थी कि मुझे इस गुड़िया को खरीदने के लिए पैसे दे देना, ताकि मम्मी इसे मेरी बहन को दे सकें।

 और भगवान ने मेरी बात सुन ली।

 इसके अलावा मुझे मम्मी के लिए एक सफ़ेद गुलाब खरीदने के लिए भी पैसे चाहिए थे।

 पर मैं भगवान से इतने ज्यादा पैसे मांगने की हिम्मत नहीं कर पाई थी।

 लेकिन भगवान ने तो मुझे इतने पैसे दे दिए हैं कि अब मैं गुड़िया के साथ-साथ एक सफ़ेद गुलाब भी खरीद सकती हूँ।

 मेरी मम्मी को सफेद गुलाब बहुत पसंद है।”

 

फिर हम वहां से निकल गए।

 मैं अपने दिमाग से उस छोटी-सी लड़की को निकाल नहीं पा रहा था।

 मुझे दो दिन पहले फ़ास्ट न्यूज़ इंडिया समाचार पत्र में छपी एक घटना याद आ गई।

जिसमें लिखा था कि एक शराबी ट्रक ड्राइवर ने नशे की हालत में मोबाइल फोन पर बात करते हुए एक महिला की कार को टक्कर मार दी थी।

 उसमें उसकी 3 साल की बेटी की घटनास्थल पर ही मृत्यु हो गई थी और वह महिला कोमा में चली गई थी।

अब उस परिवार को यह महत्वपूर्ण निर्णय लेना था कि उस महिला को जीवन-रक्षक मशीन पर बनाए रखना है अथवा नहीं, क्योंकि उसके कोमा से बाहर आने की कोई संभावना नहीं थी।

 क्या वह परिवार इसी छोटे-से बच्चे का ही था?

 मेरा मन रोम-रोम कांप उठा।

उस नन्ही लड़की से मुलाक़ात के दो दिनों बाद मैंने फ़ास्ट न्यूज़ इंडिया अखबार में पढ़ा कि उस महिला को बचाया नहीं जा सका।

 मैं अपने आप को रोक नहीं सका और अखबार में दिए पते पर जा पहुँचा, जहाँ उस महिला को अंतिम दर्शन के लिए रखा गया था।

वह महिला श्वेत-धवल कपड़ों में थी, अपने हाथ में एक सफ़ेद गुलाब और उस छोटे-से बच्चे का वह फोटो लिए हुए।

 और उसके सीने पर रखी हुई थी वही गुड़िया।

मेरी आँखें नम हो गईं।

 मैं नम आँखों के साथ वहाँ से लौटा।

उस नन्ही-सी लड़की का अपनी माँ और अपनी बहन के लिए जो प्यार था, वह शब्दों में बयान करना मुश्किल है।

 लेकिन एक शराबी चालक ने अपनी लापरवाही से क्षण भर में उस लड़की से उसका सब कुछ छीन लिया। यह

 कहानी नहीं हकीकत है कहीं ना कहीं गुजरा हुआ कल है 

 बिनती है उन शराब प्रेमियों से अपना प्रेम गाड़ी चलाते में ना करें वह प्रेम अपने घर पर करें एक नेक विनती



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