नाप जोख शुरू, खिलाड़ियों के सामने आया मैदान का संकट
रेल कर्मियों ने कार्य निरीक्षक को पत्र लिखकर समस्या से अवगत कराया
फास्ट न्यूज इंडिया यूपी प्रतापगढ़। रेलवे अस्पताल की ओर खाली पड़ी जमीन पर बने अस्थाई खेल की जमीन पर जीआरपी की बैरिक बनने के निर्णय से खिलाड़ियों के सामने खेलने का संकट आन पड़ा है। अब वे किस मैदान पर जाकर अभ्यास करेंगे। इसको लेकर कर्मचारियों में चिंता होने लगी है। पचास से अधिक रेल कर्मियों ने एक हस्ताक्षर युक्त पत्र कार्य निरीक्षक को देकर अपनी समस्या से अवगत कराया है। उनसे बैरिक के लिए दूसरी जगह जमीन चिन्हित करने की मांग की है। दरअसल, रेलवे कालोनी में खाली पड़ी जमीन को रेल कर्मियों ने अपने खेलने के यूज में ले लिया। उस पर अस्थाई मैदान भी बना लिया है। जिस पर वे क्रिकेट समेत अन्य खेलों का अभ्यास करते हैं। पता चला है कि इंजीनियरिंग विभाग उस जमीन पर जीआरपी के लिए अब बैरिक बनाने जा रहा है। कार्य निरीक्षक की टीम ने बाकायदा जमीन का सीमांकन भी किया है। इसकी जानकारी होने पर कर्मचारी हैरत में हैं। उनके सामने खेलने के लिए दूसरे मैदान की समस्या खड़ी हो गई। आरके गुप्ता, एसके यादव और मनीष समेत पचास से अधिक रेल कर्मियों ने कार्य निरीक्षक को पत्र देकर अपनी समस्या से अवगत कराते हुए। उचित कार्रवाई की मांग की है। इस बारे में कार्य निरीक्षक बलराम का कहना है कि उस जमीन पर जीआरपी बैरिक बनने का प्रपोजल बहुत पहले ही विभाग को भेजा जा चुका था। जो अब जाकर मंजूर हुआ है। प्रपोजल के समय वहां पर कोई भी खेल का मैदान नहीं था। जमीन को बैरिक के लिए चिन्हित किया गया है।
बच्चे कहां खेले, सड़क को बना रखा है मैदान
सरकार खेल प्रतिभाओं को निखारने की बात तो करती हैं अफसोस उनके लिए पिच या मैदान तक मुहैया नहीं करा पाती हैं। हर बड़े स्टेशन की तरह प्रतापगढ़ में कहीं न कहीं खेल का मैदान होना चाहिए। जहां पर खिलाड़ी रेलकर्मी और उनके बच्चे जाकर खेल सके। जिससे उनमें खेल की भावना विकसित हो और वे अपनी प्रतिभा का बेहतर प्रदर्शन कर सके। गौरतलब है रेलवे स्टेशन के आसपास की बेशकीमती जमीनों पर अवैध कब्जा है। उसको खाली कराने की फुर्सत रेल अफसरों को नहीं है। रेल कर्मियों के बच्चे कालोनी की सड़कों पर खेलने को मजबूर हैं। जो अक्सर हादसे का शिकार हो जाते हैं।
अरसे पहले था मनोरंजन घर
खेल के नाम पर अरसे पहले एडीईएन आवास के निकट एक छोटा सा मनोरंजन घर हुआ करता था। जहां पर बच्चे खेलते थे। छोटे स्तर का कार्यक्रम, मीटिंग भी हुआ करता था। वर्तमान में उसका अस्तित्व पूरी तरह से समाप्त हो चुका है। यूनियनें और उनके नेता भी खेल का मैदान होना चाहिए इसके लिए एक भी पीएनएम आईटम नहीं डालते। बातें लंबी लंबी करते हैं। कार्य निरीक्षक बलराम भी खेल के मैदान की कमी को महसूस करते हैं लेकिन वे भी लाचार हैं। रिपोर्ट विशाल रावत डिस्ट्रिक ब्यूरो चीफ प्रतापगढ़ 151019049
