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सत्ता परिवर्तन का कारण बना।
  • 151168597 - RAJESH SHIVHARE 0 0
    10 Sep 2025 00:31 AM



भारत के दो पड़ोसी देश, एक नेपाल और दूसरा बांग्लादेश, दोनों ही देशों में शीर्ष नेताओं को आंदोलनों के कारण पद छोड़ना पड़ा। जो सत्ता परिवर्तन का कारण बना।

5 अगस्त 2024 को बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अपनी सरकार के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों के बाद पद से इस्तीफा दे दिया और देश छोड़कर चली गईं। ऐसे ही हालात अब नेपाल में भी हो गए हैं, केपी शर्मा ओली ने देशव्यापी विरोध प्रदर्शनों के बीच नेपाल के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। खबरों के अनुसार, वह देश छोड़कर भागने की योजना बना रहे हैं।  

 

नेपाल में जिस तरह के हालत बनते जा रहे हैं, उसे देखकर लगता है कि बहुत जल्द यहां बांग्लादेश जैसी स्थिति पैदा हो सकती है। जिस तरह शेख हसीना को देश छोड़ना पड़ा, अगर जल्द हालात नहीं सुधरे तो केपी शर्मा ओली को भी देश छोड़ सकते हैं। 

 

साल 2024 में शेख हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग सरकार के खिलाफ एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन में सरकार पर निरंकुश होने का आरोप लगाया गया और शेख हसीना को हटाने की मांग करते हुए लोग सड़कों पर उतर आए। जिस पार्टी ने 50 साल पहले एक क्रांति का नेतृत्व किया था, उसे दूसरी क्रांति ने सत्ता से बेदखल कर दिया।

 

ऐसे ही हालात अब नेपाल में भी नजर आ रहे हैं। नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी ने राजशाही के खिलाफ विद्रोह का नेतृत्व किया और मई 2008 में इसे औपचारिक रूप से समाप्त कर दिया गया। इस पार्टी का संबंध अपदस्थ प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली है। उन्हीं ओली को एक जन विद्रोह ने इस्तीफा देने पर मजबूर कर दिया है, क्योंकि नेपाली समाज का एक वर्ग राजशाही की वापसी चाहता है। 

 

बांग्लादेश में, 'स्टूडेंट्स अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन' नामक एक संगठन ने शेख हसीना सरकार के खिलाफ देशव्यापी विरोध प्रदर्शनों का नेतृत्व किया। इस ग्रुप ने राज्य की दमनात्मक कार्रवाई का सामना किया और हताहतों के बावजूद शासन परिवर्तन की अपनी मांग को आगे बढ़ाया। और आखिरकार उन्हें सफलता मिली।

 

नेपाल विरोध प्रदर्शन के पीछे जो लोग खुद को Gen-Z कहते हैं, वे शुरुआत में इस हिमालयी देश में सोशल मीडिया पर प्रतिबंध के खिलाफ सड़कों पर उतरे थे। बाद में यह आंदोलन मौजूदा सरकार के खिलाफ एक व्यापक आंदोलन में बदल गया क्योंकि प्रदर्शनकारियों ने इसे बदलने की मांग की। इस मामले में भी नागरिकों की मौतों ने विरोध प्रदर्शनों को शांत नहीं हुआ बल्कि और भड़का गया।

 



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