अमेरिका की एक बड़ी नामचीन ख़ूबसूरत अदाकारा हुआ करती थी- मेरिलिन मोनरो
मोनरो के तीन शौहर थे- सात आठ आशिक़ थे
अमेरिका के एक पूर्व सदर साहब और उनके भाई भी इन हसीना के आशिक़ों में शुमार थे। हसीना थी भी बहुत हसीन और ज़ुल्मी...
मोनरो की एक सहेली जो उसकी राज़दार थी- बताती है- मोनरो की सूची में आइंस्टीन थे जिनसे वो तालुक़्क़त जोड़ना में दिलचस्पी रखती थी
हुस्न अक्सर अक़्ल से अपना नाता जोड़ना चाहता है....
दबी छिपी कहानियाँ बताती है कि मोनरो एक दफ़ा आइंस्टीन से मिली और अपनी ख्वाहिश जाहिर की "यदि आप जैसा बुद्धिमान मुझ जैसी हुस्न मलिका से संबंध बनाये तो सोचिए कितने सुंदर और बुद्धिमान बालक उत्पन्न होंगे"
इसपे आइंस्टीन ने कहा- और यदि उल्टा हुआ कि आपकी जैसी बुद्धि और मेरी जैसी शक्ल वाले बालक हुए तो कितना बलवा होगा।
खैर- कहानी परवान ना चढ़ सकी। कहानी आई गई हो गई....
मगर दुनिया का इतिहास भी बड़ा शैतान है...
कुछ दशक उपरांत इंग्लैंड की ठंड हवाओं में एक इतालवी हुस्नमल्लिका ने एक भारतीय शहज़ादे से ठीक ऐसा ही कहा "मेरी जैसी हसीना और आप जैसा शहज़ादा कैसी संतान बनायेगा, सोचके देखिए"
शहज़ादा आइंस्टीन ना था- वो ख़ुद को अक़्लमंद दानिशमांद मानता था
उसने हामी भर दी
इतालवी हुस्न और भारतीय शाही ख़ून से एक ऐसा नगीना पैदा हुआ जो.... अपार गोरा है.... घुंघराले बाल है...आलू स्वर्ण शोधक है...आज भारत में जब बुलेट चलाता है तो भारतीय रबिश पत्रकार लहालोट हो जाते है और
फिर तालियाँ पीट-पीटकर कहते हैं—
“वाह! देखो… यही है मोनरो और आइंस्टीन की पिछली जन्म की औलाद बस फर्क़ इतना है कि अक़्ल अभी भी रास्ता पूछ रही है और हुस्न
कैमरे में पोज़ दे रहा है!”
