तो आज तक मैं जो समझता आ रहा था वो गलत निकला। तस्वीर में दिख रहे शख्स को आप पहचाने ही होंगे। अनेकों फ़िल्मों में आपने इन्हें देखा होगा। आमिर खान के साथ ये हम हैं राही प्यार के, राजा हिंदुस्तानी व मेला जैसी फ़िल्मों में काम कर चुके हैं। उसके अलावा भी कई फ़िल्मों में ये दिख चुके हैं। इनका नाम पंडित वीरू कृष्णन था। मगर इंटरनेट पर अधिकतर जगहों पर बताया गया है कि इनका नाम सैयद हुसैन शाह क़ादरी था। और ये मुंबई में पैदा हुए थे। आज पता चला कि ऐसा नहीं है। ये मुस्लिम परिवार में पैदा नहीं हुए थे। ना ही मुंबई से थे ये। मुंबई इनकी कर्मभूमि ज़रूर थी। मगर ये मध्य प्रदेश के रहने वाले थे।
इनका नाम था वीरेंद्र तिवारी। और ये मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा ज़िले की परसिया तहसील के चांदामेटा कस्बे के रहने वाले थे। बचपन से ही ये अन्य पुरुषों से अलग थे। कुछ अलग तरह की अदाएं थी इनमें। इस कारण इनका बहुत मज़ाक बनाया जाता था। इन्हें नाचना पसंद आता था। मगर इनके घरवालों को वो सख्त नापसंद था। कोई भी डांस को लेकर इनके पैशन को नहीं समझता था। तो एक वक्त वो आया जब ये अपने घर से भागकर मुंबई आ गए। मुंबई में इन्हें भी बहुत तगड़ा संघर्ष करना पड़ा था। नर्तकी डॉट कॉम पर जो लेख आज मैंने पढ़ा उसमें दिग्गज कथकली व कुचीपुड़ी मास्टर विजय शंकर जी ने बताया है कि मुंबई के शुरुआती दिनों में इन्होंने लौंडा नाच भी किया था। आप जानते ही होंगे कि इसमें नाचने वाले लड़के लड़कियों वाले कपड़े पहनते हैं।
जैसा कि विजय शंकर जी ने अपने लेख में बताया है, वीरेंद्र तिवारी उर्फ़ वीरू कृष्णन दिखने में बहुत अच्छे थे। इसलिए लौंडा नाच वाले काम में उनका बहुत शोषण हुआ। मानसिक और शारीरिक तौर पर उन्हें बहुत एक्सप्लॉइट किया गया था। बहुत सताया गया था। मगर इनकी किस्मत तब बदल गई जब किसी समारोह में प्रख्यात कत्थक नृत्यांगना सितारा देवी से वीरू कृष्णन की मुलाक़ात हुई थी। वीरू जी ने सितारा देवी से कत्थक सीखने की इच्छा जताई। सितारा देवी ने कुछ दिनों तक वीरू कृष्णन जी को कत्थक सिखाया भी था। मगर बाद में उन्होंने वीरू जी को चौबे महाराज के पास कत्थक सीखने भेज दिया।
सितारा देवी की शागिर्दी के दौरान उनके बच्चों से वीरू कृष्णन जी की अच्छी दोस्ती हो गई थी। सितारा देवी की बेटी जयंती माला बताती हैं कि वीरू उनके लिए बड़े भाई जैसे थे। जब उनकी मां सितारा देवी अपने कार्यक्रमों में व्यस्त होती थी तो वीरू उनका व उनके भाई-बहनों का बहुत ख्याल रखते थे। मुंबई के अपने शुरुआती दिनों में पैसा कमाने के लिए वीरू कृष्णन वीरू बाला के नाम से मुजरा व कैबरे भी करते थे। इस दौरान वो महिलाओं वाला वेश धरते थे। जयंती माला जी बताती हैं कि वो और उनकी छोटी बहन प्रिया उस वेश में वीरू जी को पहचान भी नहीं पाती थी। महिला के वेश में वीरू जी बहुत अट्रैक्टिव लगते थे, बकौल जयंती माला।
वीरू कृष्णन कभी भी पारंगत व सफ़ल कत्थक डांसर नहीं बन सके थे। जब वो कत्थक नृत्य करते थे तो उनके शरीर में कुछ झटके आते थे। और क्लासिकल कत्थक फॉर्मेट में उस तरह के झटकों को स्वीकार नहीं किया जाता है। मगर फ़िल्म लाइन में वीरू कृष्णन जी का वो स्टाइल ज़रूर काम कर गया। जब वीरू कृष्णन जी को फ़िल्मों में काम करने के मौके मिले तो दर्शकों ने उन्हें नोटिस किया। उन्हें ख्याति मिली। और उस ख्याति के चलते उन्हें कई फ़िल्मों में अभिनय करने का मौका मिला। वो कॉमिक कैरेक्टर्स में नज़र आते थे। और उनके कैरेक्टर किन्नर प्रतीत होते थे।
वीरू कृष्णन एक नामी डांस गुरू भी थे। प्रियंका चोपड़ा, कैटरीना कैफ़ व कई अन्य एक्टर्स ने वीरू कृष्णन जी से नृत्य सीखा था। वीरू कृष्णन अच्छी-खासी फ़ीस लेते थे इन एक्टर्स से। विजय शंकर जी के जिस लेख से मुझे ये सब जानकारियां मिली हैं उसमें उन्होंने ये भी लिखा है कि वो कामना करते हैं कि वीरू कृष्णन जी का बेटा भी डांस व म्यूज़िक में सफ़ल हो। इसका मतलब ये हुआ कि वीरू कृष्णन जी का कोई बेटा भी था। लेकिन उस लेख से ये नहीं पता चलता कि वो इनका असली बेटा था या कोई गोद लिया हुआ बच्चा रहा होगा। वैसे इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता है।
साथियों आज वीरेंद्र तिवारी उर्फ़ वीरू कृष्णन जी की पुण्यतिथि है। साल 2019 में आज ही के दिन, 07 सितंबर को वीरू जी का देहांत हुआ था। मैंने तो पहली बार इन्हें राजा हिंदुस्तानी फ़िल्म में ही नोटिस किया था। हालांकि ये उससे पहले भी कुछ फ़िल्मों में काम कर चुके थे। जैसे कि आमिर खान की ही 'हम हैं राही प्यार के' फ़िल्म में भी ये थे। जूही चावला के पिता इनसे जूही चावला की शादी कराना चाहते थे उस फ़िल्म में। मगर आज तक मैं इनके बारे में यही जानता था का इनका रियल नेम नाम सैयद हुसैन शाह क़ादरी था। और ये मुंबई में ही जन्मे थे। बड़ी देर से ही सही, आज सच्चाई पता चल गई। पंडित वीरू कृष्णन जी को किस्सा टीवी का नमन। शत शत नमन।
