EPaper LogIn
एक बार क्लिक कर पोर्टल को Subscribe करें खबर पढ़े या अपलोड करें हर खबर पर इनकम पाये।

ग्वालियर के प्राइवेट स्कूलों में गरीब बच्चों की पढ़ाई पर गहराया संकट, नहीं मिली दो साल की राशि
  • 151168597 - RAJESH SHIVHARE 200 4000
    02 Sep 2025 09:35 AM



ग्वालियर। आरटीई के तहत प्राइवेट स्कूलों में गरीब व वंचित वर्ग के बच्चों को नि:शुल्क प्रवेश दिया जाता है। इन छात्रों की फीस शासन की ओर से स्कूलों को दी जाती है। जिले के प्राइवेट स्कूलों को आरटीई की फीस प्रतिपूर्ति दो साल से नहीं मिली है। प्राइवेट स्कूलों का शासन के पास करीब 20 करोड़ की राशि अटकी हुई है। ऐसे में आगामी समय में आरटीई के तहत स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों पर असर पड़ सकता है। आरटीई के तहत हर प्राइवेट स्कूल को अपने स्कूल की पहली कक्षा में 25 प्रतिशत सीटों पर गरीब व वंचित वर्ग के छात्रों काे प्रवेश देना होता है। इन छात्रों की फीस शासन स्तर से सीधे स्कूलों को दी जाती है।

सत्र 2023-24 की प्रक्रिया पूरी, खातों में नहीं पहुंची राशि

जिला शिक्षा केंद्र से सत्र 2023-24 की आरटीई फीस की प्रतिपूर्ति के लिए 796 प्रपोजल बनाए गए और भुगतान के लिए राज्य शिक्षा केंद्र भोपाल भेजे गए हैं। इन प्रपोजल की राशि करीब 11 करोड़ है। लेकिन राज्य शिक्षा केंद्र से इस सत्र की फीस प्रतिपूर्ति स्कूलों के खातों में नहीं पहुंची है। सत्र 2024-25 के भुगतान के लिए प्रकिया धीमी आरटीई के तहत 2024.25 के लिए फीस की प्रतिपूर्ति के लिए प्रक्रिया तो चल रही है, लेकिन अभी तक प्रपोजल सत्यापित नहीं हो पाए हैं। इस साल के लिए भी करीब 10 करोड़ की राशि प्राइवेट स्कूलों को मिलना है। प्रस्तावों का सत्यापन करने के लिए नोडल अफसरों की नियुक्ति न होने की वजह से प्रक्रिया काफी धीमी चल रही है। जबकि अब सत्र 2025-26 भी शुरू हो चुका है।

किस तरह होती है प्रक्रिया?

राज्य सरकार निजी स्कूलों को उस बच्चे की फीस का भुगतान करती है जो आरटीई के तहत प्रवेश लेता है। यह राशि या तो स्कूल द्वारा ली जाने वाली वास्तविक फीस होती है या सरकारी स्कूल में प्रति बच्चे होने वाला खर्च होता है, जो भी कम हो, वही स्कूल को दिया जाता है। इसके लिए स्कूलों को अपने यहां पढ़ने वाले बच्चाें की फीस प्राप्त करने के लिए प्रपोजल बनाकर जिला शिक्षा कार्यालय देना होता है। प्रपोजल आने के बाद नोडल अधिकारी या दूसरे शब्दों में क्षेत्र के बीआरसी इन प्रपोजलों का सत्यापन करते हैं। सत्यापन होने के बाद ही प्रपोजल राज्य शिक्षा केंद्र भेजे जाते हैं। लेकिन वर्तमान में स्कूलों के प्रपोजलों का सत्यापन ही नहीं हो पा रहा है।

क्या कहते हैं स्कूल संचालक?

प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष राजकरन सिंह भदौरिया का कहना है कि सरकार निजी स्कूलों से मान्यता या अन्य किसी चीज के लिए फीस जमा कराना हो तो करा लेती है और उसके लिए समय भी नहीं देती है। लेकिन जब स्कूलों को फीस प्रतिपूर्ति आदि देने की बात आती है तो ध्यान नहीं देती है। समय पर फीस प्रतिपूर्ति न होने से स्कूलों को आर्थिक समस्याओं से जूझना पड़ता है। इसका असर छात्रों की पढ़ाई की व्यवस्था पर भी पड़ता है।

सत्र 2023-24 की प्रतिपूर्ति के लिए 796 प्रपोजल राज्य शिक्षा केंद्र को भेजे गए हैं। भुगतान राज्य शिक्षा केंद्र से ही स्कूलों के खातों में होना है। सत्र 2024-25 की फीस प्रतिपूर्ति के लिए प्रक्रिया चल रही है। रिपोट - राजेश शिवहरे 151168597



Subscriber

187936

No. of Visitors

FastMail