धार्मिक मान्यता है कि कन्या संक्रांति के दिन भगवान विश्वकर्मा का अवतरण हुआ था। इसी वजह से इस दिन को विश्वकर्मा जयंती के रूप में मनाया जाता है। भगवान विश्वकर्मा को स्वर्ग लोक, पुष्पक विमान, कुबेरपुरी जैसे सभी देवनगरी का रचनाकार कहा जाता है। इसके अलावा भगवान विश्वकर्मा ने सोने की लंका और भगवान श्रीकृष्ण के लिए द्वारका नगरी का निर्माण किया था। धार्मिक मान्यता है कि इस शुभ अवसर पर भगवान विश्वकर्मा की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करने से जातक को कार्यक्षेत्र में आ रही बाधा से मुक्ति मिलती है और बिज़नेस में अपार सफलता प्राप्त होती है।सनातन धर्म में विश्वकर्मा पूजा का खास महत्व है। यह पर्व पूर्णतया शिल्पकार विश्वकर्मा जी को समर्पित है। इस शुभ अवसर पर शिल्पकार विश्वकर्मा जी की पूजा की जाती है। बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश समेत देश के कई राज्यों में विश्वकर्मा पूजा धूमधाम से मनाई जाती है। धार्मिक मत है कि शिल्पकार विश्वकर्मा जी की पूजा करने से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। साथ ही विश्वकर्मा जी की कृपा से जीवन में सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। आइए, विश्वकर्मा पूजा की सही डेट और शुभ मुहूर्त जानते हैं-
कन्या संक्रांति
आत्मा के कारक सूर्य देव 17 सितंबर को देर रात 01 बजकर 54 मिनट पर सिंह राशि से निकलकर कन्या राशि में गोचर करेंगे। सनातन धर्म में उदया तिथि मान है। इसके लिए 17 सितंबर को विश्वकर्मा पूजा मनाई जाएगी।
कन्या संक्रांति शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार कन्या संक्रांति तिथि पर पुण्य काल सुबह 05 बजकर 36 मिनट से लेकर दिन में 11 बजकर 44 मिनट तक है। वहीं, महा पुण्य काल सुबह 05 बजकर 36 मिनट से सुबह 07 बजकर 39 मिनट तक है। साधक पुण्य काल के दौरान स्नान-ध्यान कर दान-पुण्य कर सकते हैं। वहीं, महा पुण्य काल के समय में भी दान-पुण्य कर सकते हैं। कन्या संक्रांति के दिन महा पुण्य काल 02 घंटे 03 मिनट का है।
विश्वकर्मा पूजा शुभ मुहूर्त
आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 17 सितंबर (अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार) को देर रात 12 बजकर 21 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, 17 सितंबर को देर रात 11 बजकर 39 मिनट पर समाप्त होगी। साधक अपनी सुविधा अनुसार समय पर स्नान-ध्यान कर विश्वकर्मा जी की पूजा कर सकते हैं।
विश्वकर्मा पूजा शुभ योग
विश्वकर्मा पूजा के दिन शिव और परिघ योग समेत कई मंगलकारी संयोग बन रहे हैं। परिघ योग के बाद शिव योग का संयोग बन रहा है। इसके साथ ही शिववास योग का भी निर्माण होगा। इन योग में विश्वकर्मा पूजा की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होगी।
पंचांग
सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 07 मिनट पर
सूर्यास्त - शाम 06 बजकर 24 मिनट पर
ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 33 मिनट से 05 बजकर 20 मिनट तक
विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 18 मिनट से 03 बजकर 07 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 24 मिनट से 06 बजकर 47 मिनट तक
निशिता मुहूर्त - रात 11 बजकर 52 मिनट से 12 बजकर 39 मिनट तक
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