
हाई ब्लड प्रेशर (हाइपरटेंशन) की समस्या सभी उम्र के लोगों में देखी जा रही है। डॉक्टर कहते हैं, जिस तरह से हमारी दिनचर्या और आहार में गड़बड़ी आ गई है, हाई ब्लड प्रेशर भी काफी आम हो गया है। इसकी नियमित जांच करते रहना और इसे कंट्रोल में रखने के उपायों पर ध्यान देना सभी लोगों के लिए आवश्यक है। 30 से अधिक उम्र के लोग, भले ही आपका ब्लड प्रेशर हाई न रहता हो, इसकी नियमित जांच जरूर करते रहें। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (एएचए) ने हाल ही में साल 2025 के लिए रक्तचाप संबंधी नए दिशानिर्देश जारी किए हैं। इसमें वजन कम करने और जीवनशैली में बदलाव करके ब्लड प्रेशर को कंट्रोल रखने पर जोर दिया गया है। नए दिशानिर्देशों के अनुसार अच्छी सेहत के लिए वयस्कों का रक्तचाप स्तर 130/80 mm Hg से कम होना चाहिए। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा, नियमित रूप से अपने ब्लड प्रेशर को इस दायरे में रखकर आप दिल के दौरे, स्ट्रोक, किडनी फेलियर और डिमेंशिया जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के खतरे को काफी कम कर सकते हैं। अगर आपका ब्लड प्रेशर 130/80 mm Hg से अक्सर ज्यादा बना रहता है तो डॉक्टरी मदद जरूर ले लें। सामान्य से अधिक ब्लड प्रेशर की स्थिति संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए दिक्कतें बढ़ाने वाली हो सकती है।
क्या है ब्लड प्रेशर की नई गाइडलाइन?
अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (एएचए) और अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी द्वारा जारी ब्लड प्रेशर से संबंधी नए दिशानिर्देश, गर्भावस्था के दौरान शीघ्र उपचार, शराब से दूरी बनाने जैसे बदलावों पर जोर देते हैं।गौरतलब है कि जारी किए गए नवीनतम दिशानिर्देश, लगभग एक दशक पहले (2017 के अपडेट) की गाइडलाइंस जैसे ही हैं। ब्लड प्रेशर की रीडिंग में कोई बदलाव नहीं किया गया है हालांकि विशेषज्ञों ने इस बार उन कारकों पर विशेष ध्यान दिया है जो बीपी को बढ़ाते हैं। ब्लड प्रेशर हमारे शरीर की नलियों (धमनियों) में खून के दबाव को कहते हैं। यह दबाव ज्यादा बढ़ जाए तो धीरे-धीरे शरीर को नुकसान पहुंचाने लगता है। समस्या यह है कि ज्यादातर लोगों को शुरुआत में इसके कोई लक्षण नहीं दिखते, इसलिए इसे “साइलेंट किलर” कहा जाता है। दुनिया भर में करोड़ों लोग इससे पीड़ित हैं और भारत में भी इसके मरीज लगातार बढ़ रहे हैं। अच्छी खबर यह है कि इसे समय पर पहचान कर और सही तरीके से कंट्रोल करके बड़ी बीमारियों से बचा जा सकता है।
क्या कहते हैं मेडिकल एक्सपर्ट?
स्टैनफोर्ड मेडिसिन में चिकित्सा के प्रोफेसर रैंडल एस. स्टैफोर्ड ने कहा, ज्यादातर लोगों के लिए साल 2017 के दिशानिर्देशों में दी गई सलाह अभी भी प्रासंगिक है। हालांकि इस नई गाइडलाइन में उच्च रक्तचाप से संबंधित बीमारियों की स्थिति में ब्लड प्रेशर को और बेहतर तरीके से मैनेज करने और इसका उपचार करने का सुझाव दिया गया है। क्रोनिक किडनी रोग, कोरोनरी आर्टरी डिजीज, मधुमेह और स्ट्रोक संबंधी समस्याओं या इसके खतरे वाले लोगों को और गंभीरता से ब्लड प्रेशर का उपचार कराने और इसे कंट्रोल रखने पर ध्यान देना चाहिए।
कितनी रीडिंग का मतलब बढ़ गया है ब्लड प्रेशर?
इस वर्ष वैसे तो रक्तचाप की श्रेणियों में कोई बदलाव नहीं आया है, लेकिन उपचार कब लेना है इसमें जरूर बदलाव किया गया है। उच्च रक्तचाप को चार चरणों में वर्गीकृत किया गया है।
- सामान्य: 120/80 mm/Hg से कम
- उच्च: 120–129 / 80 से कम
- स्टेज 1 उच्च रक्तचाप (उच्च रक्तचाप): 130–139 या 80–89
- स्टेज 2 उच्च रक्तचाप (उच्च रक्तचाप): 140 या अधिक या 90 या अधिक
- गंभीर उच्च रक्तचाप: 180 से अधिक और/या 120 से अधिक
- उच्च रक्तचाप संबंधी आपातकालीन स्थिति: 180 से अधिक और/या 120 से अधिक
पूर्व दिशानिर्देशों में 140 mm Hg से अधिक रक्तचाप वाले लोगों के लिए जीवनशैली में बदलाव और दवा के साथ उपचार की सिफारिश की गई थी। नए दिशानिर्देशों में इस सीमा को घटाकर 130–139 mm Hg रेंज में शामिल किया गया है।
'अल्कोहल की कोई भी सेफ लिमिट नहीं
इस गाइडलाइन में विशेषज्ञों ने शराब से बिल्कुल दूरी बना लेने की सलाह दी है। बदलाव के तहत इस नए दिशानिर्देश में विशेषज्ञों ने कहा है कि अल्कोहल की कोई भी सेफ लिमिट नहीं है। यानी कि आप भले ही बहुत कम मात्रा में इसका सेवन करते हैं ये आपकी सेहत को नुकसान पहुंचाता है। वेंडरबिल्ट यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर के कार्यकारी चिकित्सा निदेशक डैनियल मुनोज कहते हैं, नए दिशानिर्देश स्पष्ट करते हैं कि जब शराब के सेवन की बात आती है, तो कम भी ज्यादा ही है आंकड़े बताते हैं कि शराब का सेवन पूरी तरह से बंद करने से रक्तचाप, विशेष रूप से पहले से उच्च रक्तचाप वाले रोगियों पर अनुकूल प्रभाव पड़ सकता है। इसके अलावा आहार में नमक (सोडियम) का सेवन सीमित करना उच्च रक्तचाप की रोकथाम का एक प्रमुख आधार है। कम उम्र से ही इसपर गंभीरता से ध्यान देने की आवश्यकता है।