फ़ास्ट न्यूज़ इंडिया राजस्थान। ड्रोन से कृत्रिम बारिश का प्रयोग पायलट प्रोजेक्ट है, इसका अभी सफल होना बाकी है। एक बार जब कृत्रिम बारिश हो जाएगी, तब डेटा एनालिसिस से यह अनुमान लगेगा कि कृत्रिम बारिश से कितना पानी आएगा? सब कुछ इस ट्रायल की सफलता पर ही टिका है।।क्लाउड सीडिंग के पर्यावरणीय खतरों को लेकर वैश्विक स्तर पर बहस छिड़ी है। प्लेन से होने वाली क्लाउड सीडिंग में सैकड़ों किलो केमिकल इस्तेमाल किया जाता है। बड़ी मात्रा में केमिकल का इस्तेमाल करने से उसका रिएक्शन होता है जो पर्यावरण के लिए घातक होता है।ज्यादा केमिकल के प्रयोग से बादलों का पैटर्न बिगड़ सकता है, उनसे होने वाला रिएक्शन कई बार कंट्रोल में नहीं रहता। बादल फटने, मौसम चक्र बिगड़ने जैसे खतरे पैदा हो जाते हैं।
हालांकि ड्रोन से करवाई जाने वाली कृत्रिम बारिश में केमिकल की मात्रा बहुत कम होती है, इसलिए उतना नुकसान नहीं होता लेकिन वैज्ञानिकों का एक वर्ग इस तर्क से भी सहमत नहीं है।
