वाराणसी। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में सोमवार को भारत की विदेश नीति में श्री अटल बिहारी वाजपेयी के योगदान पर मनोविज्ञान विभाग एवं सांख्यिकी विभाग में अलग-अलग संगोष्ठी आयोजित हुई। मनोविज्ञान विभाग में 'भारत की स्वतंत्र एवं संतुलित विदेश नीति की दिशा में अटल बिहारी वाजपेयी का योगदान, उनकी कूटनीतिक दृष्टि एवं वैश्विक प्रभाव' विषयक संगोष्ठी व भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की आयोजिका एवं विभागाध्यक्ष प्रो. शेफाली वर्मा ठकराल ने अटल जी की नीतिगत दृढ़ता, मानवीय मूल्यों और अंतरराष्ट्रीय संबंधों में संतुलन स्थापित करने की शैली को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि संगोष्ठी का उद्देश्य विद्यार्थियों एवं शोधार्थियों को अटल जी की विदेश नीति में भूमिका, शांति और संवाद पर आधारित उनके दृष्टिकोण, तथा अंतरराष्ट्रीय मंचों पर आरत की प्रतिष्ठा को सुदृढ करने में उनके ऐतिहासिक योगदान से अवगत कराना था। भाषण प्रतियोगिता में नमित कुमार सिंह ने प्रथम, यरम खानम ने द्वितीय, विनम्र रौनियार ने तृतीय एवं सानिया ने चतुर्थ स्थान प्राप्त किया। डॉ. दुर्गेश कुमार उपाध्याय ने कहा कि अटल जी की विदेश नीति में भारतीयता की आत्मा बसती थी। उनका दृष्टिकोण केवल कूटनीति नहीं था, बल्कि वह एक सभ्यता-संवाद था, जो भारत को वैश्विक मंच पर गरिमा प्रदान करता था। उन्होंने अटल जी के बहुपक्षीय संवाद, पड़ोसी देशी से संबंध सुधार और परमाणु परीक्षण जैसे ऐतिहासिक निर्णयों का विश्लेषण किया। संचालन डॉ. मुकेश कुमार पंथ एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. पूर्णिमा श्रीवास्तव ने किया। इस अवसर पर प्रो. रश्मि सिंह, डॉ. प्रतिभा सिंह, डॉ. कंचन शुक्ला, डॉ. पूनम सिंह आदि उपस्थित रहे।
सांख्यिकी विभाग में 'भारत की विदेश नीति और श्री अटल बिहारी वाजपेयी' विषयक संगोष्ठी आयोजित हुई। संयोजक एवं विभागाध्यक्ष प्रो. अनिल कुमार ने अटल जी के मूल्यों, नेतृत्व और दृष्टिकोण की आज के समय में प्रासंगिकता को रेखांकित किया। कार्यक्रम सह-संयोजक प्रो. रमन पंत ने श्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा रचित प्रेरणादायक कविता "आओ फिर से दिया जलाएं" का सजीव पाठ किया। शोधार्थी अनिशा सिंह ने श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के प्रारंभिक जीवन, शिक्षा और व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला। शोधार्थी शिल्पा सिंह ने अटल जी की विदेश नीति में दृष्टि और योगदान पर चर्चा की। शोधार्थी अंशुमान सिंह ने अटल जी की संपूर्ण विरासत का सार प्रस्तुत किया। धन्यवाद ज्ञापन शोधार्थी ऋधिमा सोनी ने किया। इस अवसर पर संदीप कुमार सिंह, ननकू राम आदि उपस्थित रहे।
