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ब्यूटी और पर्सनल केयर ई-कॉमर्स मार्केट में तेजी, 2029 तक 338 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान
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    24 Jul 2025 22:03 PM



वैश्विक सौंदर्य और पर्सनल केयर ई-कॉमर्स बाजार अगले पांच वर्षों में लगभग 50 प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद है। डिजिटल एंड ट्रेंड्स की एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार इस क्षेत्र में लगातार वृद्धि देखी जा रही है और 2029 तक इसमें निरंतर वृद्धि का अनुमान लगाया गया है।

2018 से 2024 तक का कुल बाजार राजस्व
2018 में, इसका कुल बाजार राजस्व 115.23 डॉलर था। यह संख्या पिछले कुछ वर्षों में लगातार बढ़ी है। 2019 में, इसका राजस्व बढ़कर 132.6 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया। साल 2020 में यह और बढ़कर 166.06 अरब डॉलर हो गया। 2021 में भी वृद्धि जारी रही और 201.66 अरब डॉलर तक पहुंच गई। हालांकि 2022 में इसमें मामूली गिरावट आई और यह 196.56 अरब डॉलर पर आ गया। लेकिन बाजार में तेजी से सुधार हुआ और 2024 में यह 227.26 अरब डॉलर तक पहुंच गया। 

2025 में 257.54 अरब डॉलर का के राजस्व का अनुमान
रिपोर्ट में 2025 के लिए 257.54 अरब डॉलर के राजस्व का अनुमान लगाया है। 2028 में 327.22 डॉलर के राजस्व के साथ यह वृद्धि जारी रहने की उम्मीद है। अनुमान है कि 2029 तक बाजार 338.93 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा। यह 2024 के स्तर से लगभग 50 प्रतिशत अधिक है। 

पर्सनल केयर का सबसे बड़ा योगदान
रिपोर्ट में बताया गया है कि खंडवार सबसे बड़ा योगदान पर्सनल केयर से आता है। इसके बाद कॉस्मेटिक, स्किनकेयर, फ्रेगरेंस और ब्यूटी टेक सेगमेंट आते हैं। आंकड़ों के अनुसार, पर्सनल केयर सेगमेंट हर साल बाजार में सबसे अधिक हिस्सेदारी बनाए रखता है, जबकि ब्यूटी टेक सबसे छोटा सेगमेंट है, लेकिन इसमें धीरे-धीरे वृद्धि देखी जा रही है।

विकसित देशों की सबसे अधिक हिस्सेदारी 
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 2024 तक सौंदर्य और कॉस्मेटिक उद्योग में ऑनलाइन ट्रैफिक सबसे अधिक विकसित देशों में रहा। इन देशों की सबसे अधिक हिस्सेदारी

 

  • अमेरिका 20.1 प्रतिशत ट्रैफिक हिस्सेदारी के साथ सबसे आगे है, 
  • उसके बाद जापान 14.3 प्रतिशत, 
  • ब्राजील 5.2 प्रतिशत और 
  • रूस 5.1 प्रतिशत 

भारत की केवल 3.6 प्रतिशत हिस्सेदारी 
सूची में शामिल अन्य देशों में यूनाइटेड किंगडम, जर्मनी, पोलैंड, भारत, फ्रांस और कनाडा शामिल हैं। भारत की इस क्षेत्र में वैश्विक भागीदारी 3.6 प्रतिशत है। इसमें वर्ष-दर-वर्ष 2.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। हालांकि भारत की दूसरे देशों की तुलना में हिस्सेदारी कम है लेकिन इस क्षेत्र में लगातार वृद्धि देखी जा रही है। 



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