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गौशाला या गायों की कब्रगाह? हरदोई की कंडहुना गौशाला में मरी पड़ीं कई गायें, वीडियो गोरक्षा की उड़ा रही धज्जियाँ
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  • 151127242 - CHANDRA VIJAY YADAV 655 43446
    22 Jul 2025 20:01 PM



गौशाला या गायों की कब्रगाह? हरदोई की कंडहुना ग्राम पंचायत में मरी पड़ीं कई गायें, वीडियो ने उड़ा दी गोरक्षा की सच्चाई की धज्जियाँ

 

फास्ट न्यूज इंडिया/रिपोर्ट सी वी आजाद 

 

टड़ियावां/हरदोई। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार गोरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता बताकर करोड़ों रुपये का बजट जारी कर रही है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही तस्वीर पेश कर रही है। टड़ियावां ब्लॉक की कंडहुना ग्राम पंचायत स्थित बहर गौशाला का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें मरी और तड़पती गायों के अमानवीय दृश्य देखे जा सकते हैं।

 

गंदगी के ढेर में तड़पती बेजुबान ज़िंदगियाँ

 

गौशाला में न तो चारे-पानी की कोई स्पष्ट व्यवस्था दिखती है, न ही देखरेख के लिए कोई कर्मचारी मौजूद है। गंदगी के बीच कई गायें मृत पड़ी हैं, कुछ अंतिम सांसे गिनती नज़र आती हैं। यह मंजर न सिर्फ दिल दहला देने वाला है, बल्कि पूरे तंत्र की संवेदनहीनता पर गंभीर सवाल खड़े करता है।

 

एडीओ का बयान, लेकिन वीडियो में कुछ और

 

ब्लॉक के एडीओ ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि "गायें आपस में लड़कर मरती हैं और चारा-पानी पर्याप्त है" — लेकिन वीडियो में नज़र आते हालात इस दावे से मेल नहीं खाते। ग्रामीणों के अनुसार, गौशाला में लंबे समय से बदइंतज़ामी और लापरवाही जारी है। स्थानीय लोगों का कहना है कि केवल कागज़ों में सब कुछ ठीक दर्शाया जाता है।

 

आखिर जनप्रतिनिधि कहां हैं?

 

इस घटनाक्रम के बाद सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि आख़िर कोई जनप्रतिनिधि ऐसी गौशालाओं को गोद क्यों नहीं लेता? जो नेता गोरक्षा को धर्म, आस्था और राजनीति का मुद्दा बनाते हैं, वे ज़मीन पर इन निरीह प्राणियों की सुध लेने क्यों नहीं आते? क्या गोरक्षा सिर्फ मंचों, नारों और बयानों तक सीमित है?

 

जनता को जवाब चाहिए?, जुमले नहीं

 

गौर करने की बात यह है कि यदि सरकारी योजनाओं का लाभ सही जगह तक पहुंच रहा होता, तो यह स्थिति उत्पन्न ही न होती। क्या प्रशासन और स्थानीय नेतृत्व के बीच संवादहीनता या इच्छाशक्ति की कमी इन निरीह प्राणियों की मौत का कारण बन रही है?

 

अब देखना है कार्रवाई होती है या चुप्पी साध ली जाएगी?

 

अब यह देखना अहम होगा कि हरदोई प्रशासन इस मामले का संज्ञान लेकर कोई ठोस कदम उठाता है या यह मामला भी अन्य मामलों की तरह फाइलों में दफ्न हो जाएगा? गायों की मौत पर चुप्पी साधना अब सिर्फ संवेदनहीनता नहीं, बल्कि नैतिक ज़िम्मेदारी से बचने का प्रतीक बन चुका है।

 

 

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