सिंधिया परिवार ने जो किया, वो सिर्फ शब्दों में नहीं समाया नहीं जा सकता, अगर किसी और ने दिया हो इतना योगदान, तो लाओ—इतिहास में अपना नाम दिखाओ! सिंचाई हो या पेयजल की व्यवस्था, तिघरा, हरसी, जड़ेरुआ जैसे भव्य बांध और नहरें ग्वालियर-चंबल की धरती को दी हरियाली की सौगात। स्वास्थ्य की नींव रखने वाला जयारोग्य अस्पताल हो या कमलाराजा, हर गली-मोहल्ले में इलाज पहुँचा जनसेवा का ये था असली इरादा। शिक्षा के मंदिर: गोरखी, पद्मा, जीवाजीराव स्कूल जहां से निकली पीढ़ियाँ बनीं देश की शान। विश्वविद्यालय से लेकर मेडिकल कॉलेज तक ज्ञान की मशाल जलती रही हमेशा जान।
जब व्यापार को ज़रूरत थी पहचान की तो सिंधिया लाए राष्ट्रीय व्यापार मेला और चैंबर ऑफ कॉमर्स की जान! आज जो कारोबार फल-फूल रहा है, उसका बीज उन्हीं के हाथों बोया गया था। रेल की बात हो तो याद रखो जब देश के ज़्यादातर हिस्सों में ट्रेन की सिर्फ कल्पना थी तो ग्वालियर से शिवपुरी, भिंड, श्योपुर तक दौड़ती थी ट्रेनें। लोकल ट्रेन की सेवा मेट्रो से भी पहले आज भी बची पटरियाँ खुद इतिहास गवाही देती हैं। तालाबों की शान: बैजाताल, सागरताल, कटोराताल, जनकताल, हर एक बूंद में बसता है सिंधियाओं का प्रयास और प्रेम। फूलबाग की ज़मीन पर बनीं मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा और चर्च भाईचारे और एकता का वो अनमोल प्रतीक है जो कहता है हमारा विकास सिर्फ ईंट-पत्थर का नहीं, दिलों का भी है।
ग्वालियर नगर निगम, मोतीमहल, हाई कोर्ट भवन, स्टेट बैंक, डाकघर ये सब हैं उस सोच की देन जिसने जनता को हमेशा रखा पहले, और स्वार्थ को बाद में गुना का खाद कारखाना हो या ग्वालियर के ओडुपुरा का 700 करोड़ का बिजलीघर, हर कोना गवाह है—जनहित में सिंधिया परिवार हमेशा आगे रहा। पुराना एयरपोर्ट माधवराव सिंधिया की सोच और अत्याधुनिक एयरपोर्ट ज्योतिरादित्य सिंधिया की पहल। ग्वालियर रेलवे स्टेशन का आधुनिक रूप विकास की गाड़ी यहीं नहीं रुकी 2000 करोड़ की लागत से एलिवेटेड रोड, नया अंतर्राज्यीय बस अड्डा, इन सबके पीछे सिर्फ एक नाम—सिंधिया परिवार।
अब सवाल यही है अगर कोई और परिवार या नेता इतना भी 10% योगदान गिना दे, तो हम श्रद्धा से उनका भी सम्मान करेंगे। पर सच्चाई ये है जहां औरों ने राजनीति देखी वहां सिंधिया परिवार ने हमेशा जनसेवा को चुना। श्रीमंत रानोजी राव सिंधिया एक वीर और साहसी मराठा योद्धा थे, जिन्होंने मां भारती की रक्षा करते हुए युद्ध के मैदान में विदेशी आक्रमणकारियों को धूल चटाई थी। उन्होंने उज्जैन के महाकाल मंदिर का जीर्णोद्धार कराने के साथ ही, सिंहस्थ महाकुंभ को 500 साल के लंबे अंतराल के बाद पुनः आरंभ कराया था। भारत के धार्मिक एवं सांस्कृतिक वैभव को पुनर्स्थापित करने में उनका अप्रतिम योगदान है।
इतिहास की रेखाएं मिट सकती हैं, पर योगदान की छाप नहीं। सिंधिया परिवार—विकास की वो गाथा है, जो हर दिल में बसती है और हर ईंट पर लिखी है। अंधे उठा रहे हैं मेरे किरदार पर उंगलियां .. और बहरो को शिकायत है कि मैं गलत बोलता हूं..!! रिपोर्ट- राजेश शिवहरे 151168597
