वाराणसी। शहर के चर्चित दोहरे हत्याकांड की विवेचना उस समय चेतगंज में तैनात वर्तमान में चितईपुर थाना प्रभारी प्रवीन कुमार ने किया। 90 दिन के अंदर दिसंबर 2020 को 12 आरोपितों के खिलाफ अदालत में आरोप पत्र दाखिल कर दिया।
प्रवीण बताते हैं घटना के बाद हत्यारों को पकड़ना और उनके खिलाफ मजबूत साक्ष्य जमा करना बड़ी चुनौती थी। राजेंद्र और उसकी पत्नी ने हत्या की जबरदस्त साजिश रची थी। इसके तहत घटना के एक दिन पहले दोनों बेटियों को बलिया में रहने वाले रिश्तेदार के घर भेज दिया था। घर में पाले गए कुत्ते अपने परिचित के घर दिया था और उसे भोजन देने के लिए दस हजार रुपये भी दिया था।
घटना के एक रात पहले कृष्ण कुमार के घर लगे कैमरों का तार काट दिया गया था और आसपास लगे कैमरों का एंगल बदल दिया गया था। बैंक से डेढ़ लाख रुपये निकाले गए थे ताकि फरारी में काम आ सके। दंपती की हत्या के बाद राजेंद्र अशोक विहार कालोनी पहड़िया के अच्छे हसन उर्फ नजमुल हसन के घर गया।
वहां खून लगे कपड़ों को बदल दिया और अच्छे हसन के सहयोग से बलिया के लिए बस पकड़ लिया। वहीं पूजा हत्या में इस्तेमाल असलहों को लेकर बुलानाला के रहने वाले महेंद्र प्रताप राय के घर चली गई। उसकी मदद से बलिया के लिए ट्रेन में सवार हुई। पूजा की निशानदेही पर ही इसके घर से कत्ल में इस्तेमाल असलहों व चापड़ को बरामद किया था।
सारा परिवार बलिया में एक साथ मिलकर दूसरे जगहों के लिए भाग निकला। घटना के तीन दिन बाद ही गाजीपुर के करंडा निवासी रामविचार और उसका बेटा पकड़ लिया गया। पुलिस के दबाव में चार अक्टूबर 2020 को राजेंद्र, पूजा व रजत ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में समर्पण किया था।
फोरेंसिक ने सजा दिलाने में निभाई अहम भूमिका
हत्याकांड के विवेचक प्रवीन कुमार का कहना है कि दोषियों को सजा दिलाने में फोरेंसिक ने अहम भूमिका निभाई है। राजेंद्र के खून सने कपड़ों, कत्ल में इस्तेमाल चापड़, पिस्टल की फोरेंसिक जांच कराई गई। इससे तैयार रिपोर्ट को अदालत में साक्ष्य के तौर पर प्रस्तुत किया गया।
घटनास्थल के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों के खास मदद नहीं मिल पाई थी तो जांच के दौरान हत्याकांड की हर कड़ी को बारीकी से जोड़ा। इसका परिणाम रहा कि दोषियों को सजा मिल की।
हत्याकांड में पुलिस की भूमिका रही संदिग्ध
तीर्थ पुरोहित हत्याकांड में पुलिस की भूमिका बेहद संदिग्ध रही। कृष्ण कुमार के बेटे सुमित ने घटना के दो दिन पहले राजेंद्र के बेटे रजत के पास असलहा और झोले में कारतूस होने की सूचना लल्लापुरा पुलिस चौकी को दी थी। पुलिस ने झोला देखा जरूर लेकिन उसे चेक नहीं किया।
हत्या की वारदात के दो महीने पहले 14 जुलाई को भी कृष्ण कुमार, उनके बेटों व पत्नी पर राजेंद्र, रामविचार व अन्य ने चापड़, त्रिशूल से हमला किया था। कृष्ण कुमार इसकी शिकायत लेकर सिगरा थाने पर गए लेकिन पुलिस ने उन पर ही मुकदमा कर दिया। थाने में उनके साथ बदसलूकी भी की गई थी। हत्याकांड के बाद लल्लापुरा चौकी प्रभारी को निलंबित कर दिया गया था।
हत्यारों को फांसी चाहता है सुमित
मृतक कृष्ण कुमार उपाध्याय का बेटा और माता-पिता की हत्या के मुकदमे का वादी सुमित उपाध्याय का कहना है कि न्यायालय का फैसला सर्वोपरि है लेकिन घटना की जघन्यता को देखते हुए राजेन्द्र उपाध्याय, रजत उपाध्याय व रामविचार उपाध्याय को फांसी की सजा मिलनी चाहिए थी। तीनों ने दिनदहाड़े क्रुरता से उसके माता-पिता की हत्या की थी। हाईकोर्ट में सुनवाई होने पर तीनों अभियुक्तों को फांसी की सजा दिलाने का प्रयास करेंगे।