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भ्रांतियों के प्रसारित होने से देश एवं सरकार के लिए पैदा होती है मुश्किल
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    09 Jul 2025 20:36 PM



मालवीय मिशन शिक्षक प्रशिक्षण केंद्र, काशी विद्यापीठ द्वारा आयोजित विषयक छः दिवसीय ऑनलाइन मल्टीडिसिप्लिनरी संकाय संवर्धन कार्यक्रम संपन्न

वाराणसी। मालवीय मिशन शिक्षक प्रशिक्षण केंद्र, शिक्षाशास्त्र विभाग, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ द्वारा आयोजित 'भारतीय न्याय संहिता' विषयक छः दिवसीय ऑनलाइन मल्टीडिसिप्लिनरी संकाय संवर्धन कार्यक्रम बुधवार को संपन्न हुआ। प्रथम सत्र में इंडियन लॉ इंस्टिट्यूट, नई दिल्ली के प्रो. अनुराग दीप ने भारतीय न्याय संहिता की आवश्यकता, चुनौतियां एवं शोध के अवसर पर अपना व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि कुछ प्रावधान जो भारतीय दंड संहिता में है वह भारतीय न्याय संहिता में नहीं है और जो भारतीय न्याय संहिता में हैं वह भारतीय दंड संहिता में नहीं हैं। अतः दोनों ही संहिताओं में समानता के साथ ही असमानता भी है, जिसकी जानकारी विधि विशेषज्ञों एवं विद्यार्थियों के साथ ही समाज के प्रत्येक सदस्य को होना आवश्यक है, क्योंकि सम्यक जानकारी के अभाव में अनेक भ्रांतियां भी समाज में प्रसारित हो जाती हैं, जो देश एवं समाज के साथ ही सरकार के लिए भी मुश्किल पैदा करती हैं।

उन्होंने विगत दिनों ट्रक ड्राइवरों द्वारा आयोजित हड़ताल के कारणों पर प्रकाश डालते हुए इस तथ्य को बताया कि लोग अधूरे ज्ञान के कारण प्रतिकूल परिस्थितियों को उत्पन्न कर देते हैं, जिसका वास्तविकता से कोई लेना देना नहीं होता। उन्होंने दोनों ही संहिताओं का एक तुलनात्मक स्वरूप प्रस्तुत किया। राष्ट्रीय सुरक्षा एवं भारतीय न्याय संहिता विशेष रूप से आतंकवाद एवं राजद्रोह की चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि अंग्रेजी सरकार की आलोचना करना उस समय राजद्रोह माना जाता था, जिसमें अनेक लोगों को जेल में भेज दिया जाता था और आजादी के बाद भी काफी समय तक यह कानून प्रभावी था, परंतु भारतीय न्याय संहिता आने के बाद इसमें परिवर्तन हुआ है।

समापन सत्र में विधि संकाय, काशी हिंदू विश्वविद्यालय के प्रो. प्रदीप कुमार सिंह ने बताया कि भारतीय न्याय संहिता भारतीय दंड संहिता का परिवर्तित स्वरूप है। यह दंड के बजाय न्याय पर जोर देता है, जो भारतीय मूल भावना के अनुकूल है, जिसमें वर्तमान सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक आदि के अनुसार न्याय की प्रक्रिया पर जोर देता है। इसमें नूतन एवं पुरातन का एक समावेशी रूप है। स्वागत करते हुए विभागाध्यक्ष एवं केन्द्र निदेशक प्रो. सुरेंद्र राम ने बताया कि प्रस्तुत कार्यक्रम भारतीय न्याय संहिता के विविध पक्षों पर गहन विचार विमर्श करने के प्रयोजन से आयोजित किया गया। संचालन प्रो. रमाकांत सिंह, तकनीकी सहयोग एवं धन्यवाद ज्ञापन विनय सिंह ने दिया।



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