मालवीय मिशन शिक्षक प्रशिक्षण केंद्र, काशी विद्यापीठ द्वारा आयोजित छः दिवसीय ऑनलाइन मल्टीडिसिप्लिनरी संकाय संवर्धन कार्यक्रम का चौथा दिन
वाराणसी। मालवीय मिशन शिक्षक प्रशिक्षण केंद्र, शिक्षाशास्त्र विभाग, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ द्वारा आयोजित छः दिवसीय ऑनलाइन मल्टीडिसिप्लिनरी संकाय संवर्धन कार्यक्रम, 'भारतीय न्याय संहिता' के चौथे दिन सोमवार को प्रथम सत्र मे विधि संकाय, बी.एच.यू. के प्रो. राजू माझी ने भारतीय साक्ष्य अधिनियम- 2023 पर व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि भारतीय न्याय संहिता 2023 औपनिवेशिक आईपीसी की जगह लेती है, जिसका लक्ष्य त्वरित, पीड़ित-केंद्रित न्याय सुनिश्चित करना है। हालांकि, आलोचकों का तर्क है कि इसमें कुछ क्षेत्रों में स्पष्टता का अभाव है और यह सत्ता को केंद्रीकृत कर सकती है। कानूनी विशेषज्ञ परंपरा, अधिकारों एवं आधुनिक न्याय के बीच संतुलन बनाने के लिए सावधानीपूर्वक कार्यान्वयन की आवश्यकता है।
अगले सत्र में पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला पंजाब की प्रो. गुरप्रीत पन्नू ने भारतीय न्याय संहिता एवं निजी सुरक्षा से संबंधित कानून पर व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि भारतीय न्याय संहिता 2023 नागरिकों के निजी बचाव के अधिकार को सुदृढ़ करती है, जिससे जीवन और संपत्ति की रक्षा के लिए उचित बल का इस्तेमाल करने की अनुमति मिलती है। कानून सुनिश्चित करता है कि आसन्न खतरों के खिलाफ़ कार्रवाई सद्भावनापूर्वक करने की आवश्यकता है। यह व्यक्तिगत अधिकारों की रक्षा और न्याय सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। स्वागत विभागाध्यक्ष एवं केन्द्र निदेशक प्रो. सुरेंद्र राम, संचालन प्रो. रमाकांत सिंह, तकनीकी सहयोग एवं धन्यवाद ज्ञापन विनय सिंह ने किया।
