"संभोग की भूख में उसने नज़रें मोड़ीं, बेवफा पत्नी ने जिस्म भी दे दिया... और वो अमीर पति एक दिन सड़क पर अकेला रह गया।"
आरव माथुर, एक सफल बिज़नेसमैन, नामचीन फैशन ब्रांड का मालिक, दिल्ली के सबसे अमीर और चर्चित चेहरों में से एक।
कभी झुग्गी से शुरुआत की थी — कपड़ों की गाड़ी खींचते-खींचते आज वो मर्सिडीज़ में घूमता था।
पर उसका असली सपना था नैना — उसकी पत्नी।
नैना कॉलेज में मिली थी — खूबसूरत, स्मार्ट, और महत्वाकांक्षी।
आरव ने उससे वादा किया था —
"तेरे लिए ये दुनिया पलट दूँगा।"
और उसने कर भी दिखाया।
शादी हुई, बंगला बना, विदेश टूर हुए, पार्टियाँ हुईं —
सब कुछ परियों की कहानी जैसा था। पर परी-कथाएं भी कभी-कभी राक्षस की साजिश बन जाती हैं।
भाग 2: जब प्यार अंधा हो जाता है
आरव हर चीज़ नैना की खुशी के नाम करता गया —
बैंक अकाउंट, प्रॉपर्टी, बिज़नेस के शेयर तक।
वो सोचता —
"मेरा क्या है? जो है, वो नैना का है।"
नैना अब बिज़नेस में भी शामिल हो गई थी —
"मीटिंग" के नाम पर देर रात बाहर रहना, बार-बार फ़ोन स्विच ऑफ़ होना, और अपने पुराने दोस्तों को छोड़कर नए लोगों से घुलना।
आरव सवाल करता तो नैना गुस्से में चिल्ला उठती —
"तुम मुझ पर शक कर रहे हो? क्या मैं तुम्हारी ज़िंदगी की सबसे बड़ी गलती हूँ?"
आरव चुप हो जाता…
क्योंकि वो उसे खोना नहीं चाहता था।
भाग 3: पर्दा उठता है
एक दिन आरव अचानक घर लौटा — नैना की मीटिंग कैंसिल हुई थी, ऐसा उसने कहा था।
लेकिन घर में उसकी हँसी किसी अजनबी की हँसी में घुली हुई थी…
आरव ने देखा —
नैना अपने ऑफिस के नए बिज़नेस पार्टनर, करण, के साथ थी — बेहद क़रीब।
कमरे की हवा ठंडी हो गई थी।
आरव की आंखें फटी रह गईं —
"नैना, ये क्या है?"
नैना ने एकदम शांत स्वर में कहा —
"ये वो है, जो तुम नहीं हो आरव — नया, एक्साइटिंग, और आज़ाद।
तुम तो बस काम, दान, और आदर्शों में खोए हो। मैं अब और बोर नहीं होना चाहती।"
भाग 4: सब कुछ… एक झटके में छिन गया
अगले ही हफ्ते, आरव को एक लीगल नोटिस मिला —
तलाक और बेशुमार एलिमनी की माँग।
चौंकाने वाली बात — उसकी कंपनी में जो शेयर नैना के नाम थे, उससे अब वो मालिक नहीं रहा।
नैना ने सब कुछ अपने नाम करवाकर करण के साथ नया ब्रांड लॉन्च किया।
आरव के बैंक अकाउंट फ्रीज़ हो गए। घर कोर्ट केस में चला गया।
वो इंसान, जो कल तक करोड़ों का मालिक था — आज सड़कों पर था।
भाग 5: बारिश, फुटपाथ और एक पुरानी रोटी
एक रात, वो फुटपाथ पर भीग रहा था —
पास में सिर्फ़ एक प्लास्टिक बैग और भीगी हुई रोटी।
पास से गुजरती मर्सिडीज़ में नैना बैठी थी —
काँच नीचे किया, देखा… और मुस्कुराते हुए काँच फिर ऊपर कर लिया।
आरव ने देखा… कुछ कहा नहीं।
उसकी आँखों में अब आँसू नहीं थे —
बस एक गहरी, थकी हुई खामोशी थी।
भाग 6: फिर एक सुबह… और नई सोच
एक NGO की लड़की, सान्या, ने उसे पार्क में बैठा देखा।
वो उसके पास आई और कहा —
"आप आरव माथुर हैं ना? मैं आपके काम से बहुत प्रेरित थी। क्या हुआ आपको?"
आरव ने सब कुछ बता दिया।
सान्या बोली —
**"आपका सब कुछ तो छीन गया… लेकिन एक चीज़ अब भी आपके पास है —
आपकी पहचान। आपकी मेहनत। आपकी सीख।
वो कहती है —
"अगर आप चाहें तो मेरे साथ हमारे वर्कशॉप में बच्चों को बिज़नेस स्किल्स सिखा सकते हैं।"
आरव तैयार हो गया।
भाग 7: फिर से जीने की वजह
अब आरव झुग्गी के बच्चों को “डिग्निटी थ्रू स्किल” नामक संस्था में सिखाता है —
बिज़नेस प्लान बनाना, छोटे स्टार्टअप चलाना।
कोई करोड़ों नहीं कमा रहा,
पर आज वो इंसान बनाने में लगा है — और शायद खुद को भी दोबारा बना रहा है।
अंतिम दृश्य: एक बच्चे की चिट्ठी
एक दिन एक 10 साल के बच्चे ने उसे चिट्ठी दी:
"आरव अंकल, आप बहुत अमीर हैं… क्योंकि आपने हमें हँसना सिखाया।
और जो बाँटता है — वो हमेशा राजा होता है।"
आरव की आंखों से आंसू टपक पड़े…
क्योंकि पहली बार किसी ने उसे फिर से 'क़ीमती' कहा था।
अंतिम पंक्तियाँ — सोच बदल देने वाली सीख
🕯️ हर अमीर आदमी तिज़ोरी से नहीं, भरोसे से खाली होता है।
और जब भरोसा टूटता है, तो सबसे बड़ी गरीबी वहीं से शुरू होती है।
💔 बेवफ़ाई सिर्फ़ दिल नहीं तोड़ती —
कभी-कभी एक पूरी ज़िंदगी को सड़क पर ला देती है।
लेकिन जो इंसान फिर भी किसी और की ज़िंदगी बनाने लग जाए —
वो ही असली 'रईस' होता है।
❣️ अगर ये कहानी आपकी आत्मा को छू गई हो, तो इसे ❤️LIKE और 💬SHARE करें —
शायद किसी और आरव को भी नया रास्ता मिल जाए…
फास्ट न्यूज़ इंडिया कंट्री ब्यूरो चीफ 8085940000
