EPaper LogIn
एक बार क्लिक कर पोर्टल को Subscribe करें खबर पढ़े या अपलोड करें हर खबर पर इनकम पाये।

शास्त्रोक्त वचनानुसार विश्वासघाती स्त्री नरकगामी होती हैं - देवेन्द्र जी महाराज काशी
  • 151114592 - DEVENDRA CHATURVEDI 0 0
    10 Jun 2025 13:55 PM



काशी के देवेन्द्र चतुर्वेदी जी महाराज ने कहा की कल की  स्त्रीयों (लड़कीयों) का एवं अल्पसंख्या में लड़कों का भी एक नया प्रचलन सा आ चुका है धर्म एवं मर्यादा को ताख पर रख कर शादी से पूर्व ही प्रेम प्रसंग में रहना और एक नहीं कई लोगों के साथ रहना फिर विवाह किसी और से करना और फिर उसे जान से मार देना फिर किसी पर पुरुष के साथ जीवन यापीत करना जो कि सरासर घृणित कर्म है। बहुत ही अधिक संख्या में बेचारे पुरुष असुरक्षित हैं इस घृणित कर्म कि उत्पत्ति का मूल कारण जो अपने बच्चों को धर्म शास्त्रों से वैदिक परम्परा से हटाकर अछुतों जैसा व्यवहार करते हुए आधुनिक परम्परा में संलग्न करना और कराना ही है प्रेम कदापि गलत नहीं है।
प्रेम को संसार में ईश्वर का रुप कहा गया है। लेकिन प्रेम अगर मर्यादा और नीतियों को ताक पर रखकर काम भावना में बदल जाए तो इससे बड़ा पाप कुछ भी नहीं है। इस पाप की ऐसी सजा है जिसे जानेंगे तो आपका दिल दहल जाएगा। गरुड़ पुराण में कहा गया है कि जो व्यक्ति मर्यादा की रेखा पार करके पर स्त्री अथवा पर पुरुष से संबंध बनाता है उसके लिए यमराज ने बड़ा ही कठोर दंड निर्धारित किया है। ऐसे स्त्री और पुरुष की जीवात्मा को दहकते लोहे के खंभे का आलिंगन करवाया जाता है। इससे जीवात्मा का शरीर जल जाता है। जीवात्मा उस क्षण को याद करके रोता है जब उसने अवैध संबंध बनाया था। इससे भी यमराज के दूतों के हृदय नहीं पिघलता हैं और बार बार दहकते लौह स्तंभ का आलिंगन करवाते हैं।
मनुस्मृति में बताया गया है कि मनुष्य को संयम से काम लेना चाहिए और परस्त्री संबंध से बचना चाहिए। मनु स्मृति में यह भी बताया गया है कि जो व्यक्ति काम भावना के वशीभूत होकर गुरु पत्नी से संबंध जोड़ता है उसके परलोक में उसके सिर पर योनि का चिन्ह बना दिया जाएगा। यह चिन्ह अगले जन्म में व्यक्ति के सिर पर नजर आएगा। आग में लाल हुई स्त्री की मूर्ति का आलिंगन करना होगा जब तक व्यक्ति को अग्नि शुद्घ नहीं कर देती। ऐसे व्यक्ति के लिए तीसरी सजा यह है कि उसे अपने लिंग और अंडकोष को अपने हाथों से काटकर दक्षिण पश्चिम दिशा में चलना होगा जब तक उसकी मृत्यु नहीं हो जाती है। व्यभिचारी जीवनसाथी का गति ना ही यहां पर होता है और ना ही पर लोक में।



Subscriber

187556

No. of Visitors

FastMail

नई दिल्ली - नीट यूजी काउंसिलिंग के लिए 21 जुलाई से शुरू होंगे रजिस्ट्रेशन     जौनपुर - याचिकाकर्ता को धमकी देने में थाना प्रभारी समेत चार पुलिसकर्मी और एक लेखपाल निलंबित     शामली - पति का जेठानी से अफेयर! पत्नी ने किया विरोध तो दहेज में मांगे पांच लाख     त्रिपुरा - त्रिपुरा की स्नेहा देबनाथ दिल्ली में लापता, 7 दिन पहले आखिरी बार मां से हुई थी बात     तमिलनाडु - तमिलनाडु में डीजल से भरी मालगाड़ी में लगी भीषण आग     दिल्ली - दिल्ली में खुशनुमा हुआ वेदर, NCR के कई इलाकों में झमाझम बारिश