छोड़ो कल की बातें... कल की बात पुरानी... मिलकर नई कहानी... ऐसा ही संकल्प पुंछ में भारत-पाकिस्तान नियंत्रण रेखा पर स्थित मिडिल स्कूल, फकीरा दरा में पढ़ने वाले बच्चों के इरादों में झलकता है। एक तरफ दीवारों पर गोलियों के निशान दहशतगर्दी की याद दिलाते हैं, तो दूसरी तरफ किताबों में ध्यान लगाए बैठे बच्चों में दिख रहा है जम्मू-कश्मीर का चमकता भविष्य।
गोलियों से छलनी दीवारें, मगर बच्चों का हौसला कायम
पुंछ में भारत-पाकिस्तान नियंत्रण रेखा पर रावला कोट सड़क पर स्थित है सरकारी मिडिल स्कूल, फकीरा दरा। सीमा पर बढ़ते तनाव के बीच यह इलाका भी सतर्क है, और यह लाज़मी भी है। सीमावर्ती इलाकों में इन दिनों विशेष सतर्कता बरती जा रही है। इस स्कूल के विद्यार्थी बिशारत, नजाकत और साईमा छलनी दीवारों की ओर इशारा करते हुए कहते हैं – हमारे माता-पिता और शिक्षक बताते हैं कि इस स्कूल को कई बार निशाना बनाया गया। पाकिस्तानी सेना ने कई बार यहाँ गोलियाँ बरसाई हैं।
15 अगस्त 2019 -जब मौत छत पर आ गिरी थी
शिक्षक मुश्ताक का कहना है – ये निशान 15 अगस्त 2019 की पाकिस्तानी गोलाबारी के हैं, जिसमें स्कूल की छत पर भी दो मोर्टार शेल गिरे थे। ऊपर वाले का शुक्र है कि स्कूल में छुट्टी थी, वरना हम में से कोई जिंदा नहीं बचता।शिक्षक के चुप होते ही साईमा और बिशारत बोल पड़ते हैं, हम लोग खूब पढ़ेंगे। पाकिस्तान बहुत गंदा काम कर रहा है, उसे रोकना चाहिए।
हम डरते नहीं, लेकिन सतर्क रहना जरूरी है
हम डरते नहीं... पर सतर्कता जरूरी, हमारे स्कूल में भी बंकर होना चाहिए । स्कूल के बच्चे कहते हैं, हम डरते नहीं, पर सतर्कता जरूरी है। हम चाहते हैं कि हमारे स्कूल में भी बंकर बनाया जाए। कभी दोबारा कोई इस स्कूल को निशाना बनाए, तो कम से कम बच्चों को नुकसान न हो।