1979-80 का एक वाक़िया। मशहूर फ़िल्म अभिनेत्री ज़ीनत अमान लन्दन में एक सोशल एक्टिविस्ट मुनीज़ा बसीर के घर पर थीं। वहाँ उन्होंने एक गिटार देख कर पूछा कि इसे कौन बजाता है? मुनीज़ा ने अपनी 14 साल की बेटी की तरफ इशारा किया। ज़ीनत ने उस बच्ची से कुछ सुनाने को कहा। बच्ची की आवाज़ में एक नया पैना पन था। एक नई कशिश। ज़ीनत पर उसका जादू सा असर हुआ। उन्हीं दिनों अभिनेता और निर्देशक फ़िरोज़ ख़ान ज़ीनत को लेकर एक फ़िल्म बना रहे थे जिसके साउंडट्रैक के लिए उन्हें बिलकुल एक नई तरह की आवाज़ की ज़रूरत थी। इसलिए अगले ही दिन ज़ीनत ने मुनीज़ा को कॉल की और कहा कि मुझे आपकी बेटी की आवाज़ बहुत पसंद आई है और मैं उससे अपनी आने वाली फ़िल्म के साउंडट्रैक के लिए फ़ाइनल करना चाहती हूँ।
थोड़ी बहुत जद्दोजहद के बाद बात तय हो गई, लेकिन उस बच्ची की स्कूल टाइमिंग के कारण रिकॉर्डिंग नहीं हो पा रही थी। लिहाज़ा यह तय हुआ कि स्कूल इंटरवल के बाद कभी हाफ़-डे लेकर रिकॉर्डिंग रख ली जाए। इसलिए एक दिन वह बच्ची स्कूल की यूनिफॉर्म में ही रिकॉर्डिंग स्टूडियो गई। वहाँ पर उसने क़ुर्बानी फ़िल्म के लिए एक गाना रिकॉर्ड किया, जिसके लिरिक्स थे, "आप जैसा कोई मेरी ज़िंदगी में आए, तो बात बन जाए"
उसके बाद जो हुआ वह इतिहास है।
आप समझ गए होंगे कि यहाँ पर बात हो रही है 15 साल की बच्ची "नाज़िया हसन" की। जिसके इस गाने ने आगे चलकर धूम मचा दिया। इस गाने के लिए उसने मात्र 15 साल की उम्र में ही फ़िल्मफ़ेयर जीता जो कि आज तक एक रिकॉर्ड है।
फ़िल्म 'क़ुर्बानी' के इस गीत के म्युज़िक कम्पोज़र थे बिड्डू अपैय्या। उन्होंने इस गीत का आइडिया अमेरिकी गायक लू रॉल्स के लोकप्रिय गीत 'You'll Never Find Another Love Like Mine' से लिया था।
इसके बाद तो जैसे नाज़िया के लिए पूरा आस्मां कम पड़ गया। अपने भाई ज़ोहैब के साथ नाज़िया फ़िल्मों और अल्बम के लिए गाने रिकॉर्ड करने लगी। 1981 में रिलीज़ हुआ उनका अल्बम "डिस्को दीवाने" दुनिया के 14 देशों में टॉप में स्थान बनाया और उसे 'बेस्ट-सेलिंग एशियन पॉप रिकॉर्ड' का दर्ज़ा भी मिला। इस अल्बम के रिलीज़ होने के पहले ही दिन अकेले बॉम्बे में ही इसकी एक लाख कॉपियां बिकी थीं। यह पाकिस्तान, भारत, ब्राज़ील, रूस, दक्षिण अफ़्रीका, फिलीपींस, मलेशिया, इंडोनेशिया, लैटिन अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, वेस्टइंडीज और अमेरिका सहित 14 देशों में टॉप टेन चार्ट में पहले नंबर पर रहा। दुनिया भर में इसकी एक करोड़ 40 लाख कॉपियां बिकी थीं, जो उस समय एक रिकॉर्ड था।
कुल मिलाकर नाज़िया और ज़ोहैब की जोड़ी ने साउथ एशिया में आधुनिक संगीत में क्रांति ला दी। इन दोनों को इस क्षेत्र में पॉप संगीत के संस्थापकों में से एक माना जाता है। नाज़िया-ज़ोहैब ने साउथ एशिया में 50 सालों से प्रचलित संगीत परंपरा को बदल डाला। साल 1931 में पहली बोलती फिल्म 'आलम आरा' से लेकर साल 1980 तक जितने भी प्रयोग हुए थे, नाज़िया हसन की आवाज़ और उसके साथ वाद्य यंत्र बजाने का अनुभव एक ख़ूबसूरत और अनोखा संगीत साबित हुआ।
लेकिन....लेकिन !
दुनिया की तमाम खुबसूरत दास्ताँ के आगे 'लेकिन' का पूर्णविराम लग जाता है। नाज़िया के जादुई गले में साँस भरने वाले फेफड़ों ने बग़ावत कर दिया। सिर्फ़ 35 साल की उमर में नाज़िया फेफड़ों के कैंसर से लड़ती हुई इस दुनिया को अलविदा कह गईं। "रौशनी ख़त्म हुई उस निगाह के साथ, मोहब्बत रुख़सत हुई इक आह के साथ" मशहूर पेंटर वैन गॉग के बारे में सुना था कि जब उन्हें अपनी कोई पेंटिंग बहुत ज़्यादा अच्छी लगने लगती तो वो उसे फाड़ दिया करते थे। 13 अगस्त 2000 को भी यही हुआ। पेंटिंग बनाने वाले को अपनी पेंटिंग शायद ज़्यादा ही भा गई। रिपोर्ट-राजेश् शिवहरे 151168597
