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बलरामपुर/गैड़ास बुजुर्ग। तैयबपुर गांव पर राप्ती की कटान का कहर टूट रहा है। गांव के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। बाढ़ व कटान के इंतजामों के मद्देनजर ग्रामीणों को इंतजार है। राप्ती नदी में जमीन समाहित होने से किसानों के समक्ष अब भुखमरी का भी संकट गहराने लगा है। यदि बरसात से पहले गांव के पास कटानरोधी कार्य नहीं कराया गया तो गांव राप्ती नदी में विलीन हो जाएगा। गैड़ास बुजुर्ग ब्लॉक का तैयबपुर गांव राप्ती नदी के मुहाने पर पहुंच गया है। गांव हर वर्ष राप्ती नदी की बाढ़ से घिर जाता है। ग्रामीणों का कहना है कि हर वर्ष बाढ़ के पानी में खरीफ की फसलें डूब जाती हैं, जिससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है। गांव के किसान सिर्फ खेती पर निर्भर हैं। फसलों को नुकसान होने से किसानों को भुखमरी के संकट का सामना करना पड़ रहा है। किसानों की 55 बीघा जमीन राप्ती नदी काट चुकी है। किसान कमाल अख्तर का 10 बीघा, अब्दुल वहीद का पांच बीघा, अबूसहमा का 10 बीघा, अब्दुल रशीद का 10 बीघा, मुस्तफा का 15 बीघा व अरशद अली का पांच बीघा जमीन राप्ती नदी में समा चुकी है। राप्ती नदी गांव से सिर्फ 100 मीटर की दूरी पर बह रही है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि बरसात से पहले कटानरोधी कार्य नहीं कराया गया तो राप्ती नदी की कटान से गांव के 135 परिवार बेघर हो जाएंगे। बरसात से पहले कराएं कटानरोधी कार्य ग्रामीण बताते हैं कि तैयबपुर गांव के पास राप्ती नदी तेजी से कटान कर रही है। गांव के पास राप्ती नदी के किनारे कटानरोधी कार्य कराने के लिए कई बार मांग की गई, लेकिन अभी तक कार्य शुरू नहीं हो सका है। यदि बरसात से पहले कटानरोधी कार्य नहीं हुआ तो राप्ती नदी गांव का पूरा अस्तित्व मिटा देगी। तैयार कराया जा रहा प्रस्ताव गैड़ास बुजुर्ग ब्लॉक के तैयबपुर गांव के पास कटानरोधी कार्य के लिए ग्रामीणों ने प्रार्थना पत्र दिया है। गांव के पास कार्य कराने का प्रस्ताव तैयार करने के लिए बाढ़ खंड को निर्देश दिया गया है। शासन से बजट मिलने के बाद बाढ़ खंड के इंजीनियर कटानरोधी कार्य कराएंगे, जिससे कटान का संकट ग्रामीणों को न झेलना पड़े।
