मानव जीवन का मूल उद्देश्य ब्रह्मज्ञान की प्राप्ति,अन्यथा मानव पशु के समान
खुटहन (जौनपुर)24 मार्च
इमामपुर गांव में सोमवार को आयोजित वार्षिक धन निरंकारी संत समागम में प्रयागराज से पधारी ज्ञान प्रचारक कुमुद जी महराज ने कहा कि मानव जीवन का मूल उद्देश्य ब्रह्मज्ञान प्राप्त करना है। तभी यह जीवन सार्थक हो पायेगा। यही ज्ञान मानव और पशुवत व्यवहार को अलग करता है।
उन्होंने कहा कि आज मानव अपने मूल उद्देश्य से भटक रहा है। वह पूजा पाठ भी करता है तो स्वयं के कल्याण की कामना न कर भौतिक साधनों घर, गाड़ी, बेटा बेटी की नौकरी,धन दौलत और शारीरिक सुख चाहता है। यही उसकी सबसे बड़ी भूल है। उसे नहीं पता कि ब्रह्मज्ञान से उसकी दशा और दिशा दोनों बदल जायेगी। इस लिए इंसान को अपने ईष्ट से स्वयं के कल्याण की कामना करनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि लोग कहते हैं कि ज्ञान की प्राप्ति कहां से होगी। उसके लिए हमें क्या उपाय करना होगा। ब्रह्मज्ञान प्राप्ति की सीढ़ी का पहला पायदान सद्गुरु होता है। उसके बताए रास्ते पर पूरे विश्वास के साथ चलकर प्राप्त किया जा सकता है। प्रभु दूर नहीं है,या तो तुम उन्हें दूर से देख रहे हो या उन्हें गुरूर से देख रहे हैं। इस मौके पर कृष्णा प्रसाद श्रीवास्तव, शंकर दयाल मुखी, डॉ आरपी सिंह, सत्यनारायण यादव, अवनीश , ऋषि कुमार संतलाल सोनी प्रधान, अमित सोनी,बसंत सोनी, मनोज सोनी, मुलायम सोनी,राधा सोनी आदि मौजूद रहीं। संचालन पूजा देवी ने किया। आयोजक शिवशंकर सेठ ने सभी आगतो का स्वागत किया।
