गौरेया ने मानव को अपनाया है। गौरेया को अपने परिवार का हिस्सा बनाए। यह पौधरोपण में सहायक है इनको खुद से दूर न होने दे। उक्त बातें वन संरक्षक डॉ. रवि कुमार ने विश्व गौरेया दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में कही। विश्व गौरेया दिवस पर वन विभाग के तत्वावधान में सारनाथ मिनी जू पार्क में गौरेया संरक्षण जागरूकता संगोष्ठी आयोजित हुई। उन्होंने कहा कि शहर व ग्रामीण दोनों ही परिवेश व हर जलवायु पसंद है। अपने आसपास पक्षियों के लिए फलदार पौध रोपित करें। गौरेया सिर्फ पारिस्थितिकी तंत्र के लिए नही बल्कि सांस्कृतिक प्रतीक भी रही है। गौतम चटर्जी ने कहा कि गौरेया की संख्या में कमी आयी थी। गौरेया होने से पर्यावरण सुरक्षित रहता है। पर्यावरण सुरक्षित रहने पर हम व आने वाली पीढ़ी सुरक्षित रहेगी। इस मौके पर यंग इंडियन की तरफ से वन विभाग को 100 लकड़ी के बने गौरेया नेस्ट को बच्चों व अन्य लोगो में वितरण किया गया। इस मौके पर प्रभागीय वनाधिकारी स्वाति, उप प्रभागीय वनाधिकारी राकेश कुमार, अमित दुबे, रवींद्र यादव, एके उपाध्याय उपस्थित रहे। वहीं एनजीओ दी मालवीय हेल्पिंग हैंडस सोसाइटी द्वारा हर घर घोसला पहल की शुरुआत हुई। उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अजय राय ने भी अपने परिवार के साथ घर भर में घोंसले लगाए और गौरैयाओं के लिए भोजन और पानी की व्यवस्था की।यह कदम पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक छोटा लेकिन महत्वपूर्ण योगदान है। अजय राय ने अपने परिवार, के माध्यम से गौरैया दिवस पर संदेश दिया कि गौरैया हमारे पारिस्थितिकी तंत्र का एक अहम हिस्सा हैं, और हम सभी को मिलकर उनके संरक्षण के लिए काम करना चाहिए। इस दिन हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि हम अपने घरों और आस-पास के क्षेत्रों को गौरैयाओं के लिए एक सुरक्षित आश्रय स्थल बनाएंगे। पिंडरा ब्लॉक के कंपोजिट स्कूल रमईपट्टी के शिक्षक व बच्चों ने गौरैया के लिए मानवीकृत घोसला बनाया।


