फास्ट न्यूज़ इंडिया यूपी वाराणसी। अंतर विश्वविद्यालय अध्यापक शिक्षा केंद्र, बीएचयू, वाराणसी तथा भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के संयुक्त तत्वाधान में ‘ट्रांसफॉर्मिंग असेसमेंट अप्रोचेज इन हायर एजुकेशन फॉर इंडिया @ 2047’ विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का हाइब्रिड मोड में शुभारम्भ व आयोजन आई.यू.सी.टी.ई. परिसर में हुआ। कार्यक्रम का शुभारम्भ मंगलाचरण व मां सरस्वती तथा महामना मदन मोहन मालवीय जी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि एवं दीप प्रज्ज्वलन कर किया गया। यह संगोष्ठी भारतीय विश्वविद्यालयों के शिक्षकों के लिए शैक्षणिक मूल्यांकन के परिवर्तनकारी क्षेत्रों में गहराई से विचार-विमर्श करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान कर रहा है। यह 21वीं सदी के शैक्षिक परिदृश्य में गतिशीलता को देखते हुए और विजन 2047 में निर्धारित नवोन्मेषी और व्यापक लक्ष्यों के साथ मूल्यांकन रणनीतियों के पुनर्मूल्यांकन की आवश्यकता पर मंथन का अवसर प्रदान कर रहा है। उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि प्रो. बी.के. सिंह, निदेशक, आईआईआईटीडीएम, जबलपुर थे। इस सत्र की अध्यक्षता प्रो. प्रेम नारायण सिंह, निदेशक, आईयूसीटीई, बीएचयू ने की। उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि प्रो. बी. के. सिंह ने सभी शैक्षणिक संस्थानों में मूल्यांकन की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने जोर दिया कि विकसित भारत 2047 के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रत्येक क्षेत्र में कौशल विकास पर ध्यान केंद्रित करना आवश्यक है क्योंकि देश में कुशल कार्यबल की संख्या सीमित है। इस कार्य में मूल्यांकन पद्धतियों में सुधार की आवश्यकता है। प्रो. सिंह ने यह भी रेखांकित किया कि विद्यार्थियों में कौशल का विकास राष्ट्रीय उत्थान के लिए अनिवार्य है और यह विज़न 2047 के लक्ष्यों के साथ सामंजस्य स्थापित करने का एक महत्वपूर्ण पहलू है। सत्र की अध्यक्षता करते हुए केंद्र के निदेशक, प्रो. प्रेम नारायण सिंह ने कहा कि देश, समाज व लोगों को विजन 2047 के अनुरूप ‘अच्छे आदमी’ चाहिए या ‘स्किल्ड बारबेरियन’? उन्होंने कहा कि हमें जिस प्रकार का विकास, देश व समाज चाहिए उसी प्रकार की शिक्षा व्यवस्था की जरूरत है। हमें मानवता की शिक्षा पर भी गहन विचार करने की आवश्यकता है। हमें आकलन की पद्धतियों का पुनः निरीक्षण करने की आवश्यकता है। मुख्य वक्ता के रूप में इग्नू, नई दिल्ली के प्रो. अरविंद कुमार झा ने ‘चैलेंजेज इन करेंट असेसमेंट प्रैक्टिसेस’ विषय पर अपना व्याख्यान देते हुए कहा कि शिक्षा एक विमर्श है, इसलिए हमें शिक्षा के लिए शिक्षणशास्त्र, मूल्यांकन इत्यादि के संदर्भ में लगातार चिंतन करना चाहिए और देश की शिक्षा पद्धति में एक चीज, जिसे बदलने की जरूरत है, वह है मूल्यांकन। भारत के विभिन्न शिक्षा आयोगों की सिफारिशों में भी मूल्यांकन पद्धतियों में बदलाव का उल्लेख किया गया है। एनआईईपीए, नई दिल्ली के प्रो. प्रदीप कुमार मिश्रा ने ‘ग्लोबल असेसमेंट ट्रेंड्स’ पर अपने वक्तव्य में कहा कि मूल्यांकन की कोई एक निश्चित विधि नहीं है, इस क्षेत्र में लगातार बदलाव हो रहे हैं इसलिए हम शिक्षकों को किसी एक विशेष मूल्यांकन रणनीति को न अपनाकर स्वयं को अद्यतन रखना आवश्यक है। तभी हम विद्यार्थियों का सही आकलन कर सकते हैं। इस दो दिवसीय संगोष्ठी में असम, दिल्ली, बिहार, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, पंजाब सहित दस राज्यों के शोधार्थी व अध्यापक प्रतिभाग कर रहे हैं। संगोष्ठी समन्वयक डॉ. ज्ञानेंद्र सिंह ने इसकी रूपरेखा प्रस्तुत की। संगोष्ठी का संचालन, अतिथियों का स्वागत व समन्वयन डॉ. ज्ञानेंद्र सिंह तथा सह-समन्वयन डॉ. राज सिंह ने किया। इस कार्यशाला में केंद्र के प्रो. आशीष श्रीवास्तव (डीन, शैक्षणिक व शोध), प्रो. अजय कुमार सिंह, डॉ. विनोद कुमार सिंह, डॉ. दीप्ति गुप्ता, डॉ. कुशाग्री सिंह, डॉ. राजा पाठक, डॉ. सुनील कुमार त्रिपाठी, डॉ. अनिल कुमार सहित शैक्षणिक व गैर-शैक्षणिक कर्मचारी उपस्थित रहे। रविन्द्र गुप्ता डिस्ट्रिक्ट इंचार्ज डेली वाराणसी 151009219

