EPaper LogIn
एक बार क्लिक कर पोर्टल को Subscribe करें खबर पढ़े या अपलोड करें हर खबर पर इनकम पाये।

होली का महत्व, पौराणिक कथाएं और इस त्योहार को मनाने के पीछे क्या है मान्यताएं
  • 151000001 - PRABHAKAR DWIVEDI 0 0
    28 Feb 2025 07:40 AM



हिन्दू कैलेंडर के अनुसार फाल्गुन महीने की पूर्णिमा पर होलिका दहन किया जाता है। होलिका दहन यानी होली से जुड़ी कुछ पौराणिक कथाएं और मान्यताएं भी हैं। हालांकि ज्यादातर लोगों को होलिका और प्रहल्लाद वाली कहानी पता है, लेकिन इसके अलावा शिवजी-कामदेव और राजा रघु से जुड़ी मान्यताएं भी हैं जो होलिका दहन से जुड़ी हैं। होलिका दहन से जुड़ी ये कथाएं और मान्यताएं हमें बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देती है। वहीं इनसे समानता और एकता की शिक्षा भी मिलती है।
होलिका दहन से जुड़ी मुख्य कहानियां और मान्यताएं
हिरण्यकश्यपु राक्षसों का राजा था। उसका पुत्र प्रह्लाद, भगवान विष्णु का परम भक्त था। राजा हिरण्यकश्यपु भगवान विष्णु को अपना शत्रु मानता था। जब उसे पता चला कि प्रह्लाद विष्णु भक्त है, तो उसने प्रह्लाद को रोकने की कोशिश की, लेकिन प्रह्लाद के न मानने पर हिरण्यकश्यपु प्रह्लाद को यातनाएं देने लगा। हिरण्यकश्यपु ने प्रह्लाद को पहाड़ से नीचे गिराया, हाथी के पैरों से कुचलने की कोशिश की, लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद बच गया। हिरण्यकश्यपु की होलिका नाम की एक बहन थी। उसे वरदान था कि वह अग्नि में नहीं जलेगी। हिरण्यकश्यपु के कहने पर होलिका प्रह्लाद को मारने के लिए अपनी गोद में बैठाकर आग में प्रवेश कर कई। किंतु भगवान विष्णु की कृपा से तब भी भक्त प्रह्लाद बच गया और होलिका जल गई। तभी से बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में होलिका दहन होने लगा और ये त्योहार मनाया जाने लगा।
शिवजी और कामदेव को किया था भस्म
इंद्र ने कामदेव को भगवान शिव की तपस्या भंग करने का आदेश दिया। कामदेव ने उसी समय वसंत को याद किया और अपनी माया से वसंत का प्रभाव फैलाया, इससे सारे जगत के प्राणी काममोहित हो गए। कामदेव का शिव को मोहित करने का यह प्रयास होली तक चला। होली के दिन भगवान शिव की तपस्या भंग हुई। उन्होंने रोष में आकर कामदेव को भस्म कर दिया तथा यह संदेश दिया कि होली पर काम (मोह, इच्छा, लालच, धन, मद) इनको अपने पर हावी न होने दें। तब से ही होली पर वसंत उत्सव एवं होली जलाने की परंपरा प्रारंभ हुई। इस घटना के बाद शिवजी ने माता पार्वती से विवाह की सम्मति दी। जिससे सभी देवी-देवताओं, शिवगणों, मनुष्यों में हर्षोल्लास फैल गया। उन्होंने एक-दूसरे पर रंग गुलाल उड़ाकर जोरदार उत्सव मनाया, जो आज होली के रूप में घर-घर मनाया जाता है।
ये भी एक कारण है होली मनाने का
राजा रघु के राज्य में ढुण्डा नाम की एक राक्षसी ने शिव से अमरत्व प्राप्त कर लोगों को खासकर बच्चों को सताना शुरु कर दिया। भयभीत प्रजा ने अपनी पीड़ा राजा रघु को बताई। तब राजा रघु के पूछने पर महर्षि वशिष्ठ ने बताया कि शिव के वरदान के प्रभाव से उस राक्षसी की देवता, मनुष्य, अस्त्र-शस्त्र या ठंड, गर्मी या बारिश से मृत्यु संभव नहीं, किंतु शिव ने यह भी कहा है कि खेलते हुए बच्चों का शोर-गुल या हुडदंग उसकी मृृत्यु का कारण बन सकता है। अत: ऋषि ने उपाय बताया कि फाल्गुन पूर्णिमा का दिन शीत ऋतु की विदाई का तथा ग्रीष्म ऋतु के आगमन का होता है। उस दिन सारे लोग एकत्र होकर आनंद और खुशी के साथ हंसे, नाचे, गाएं, तालियां बजाएं। छोटे बच्चे निकलकर शोर मचाएं, लकडिय़ा, घास, उपलें आदि इकट्‌ठा कर मंत्र बोलकर उनमें आग जलाएं, अग्नि की परिक्रमा करें व उसमें होम करें। राजा द्वारा प्रजा के साथ इन सब क्रियाओं को करने पर अंतत: ढुण्डा नामक राक्षसी का अंत हुआ।
इस प्रकार बच्चों पर से राक्षसी बाधा तथा प्रजा के भय का निवारण हुआ। यह दिन ही होलिका तथा कालान्तर में होली के नाम से लोकप्रिय हुआ।



Subscriber

187486

No. of Visitors

FastMail

बस्ती - पीएम ने मन की बात में योग, आपात काल और श्रावण मास पर की चर्चा     वाराणसी - झूम के बरसे बादल, लबालब हुए कई क्षेत्र; मानसून आने से किसानों को राहत     हरदोई - यूपी के किसान 31 जुलाई से पहले करवा लें फसल बीमा, नहीं तो पछताना पड़ेगा     अयोध्या - एक महीने में श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाएंगे रामजन्मभूमि परिसर के सभी मंदिर     नई दिल्ली - ऑफिस में REEL देखने वाले हो जाएं सावधान, रखी जा रही है कड़ी नजर जा सकती है नौकरी     बंगाल - लॉ कॉलेज गैंगरेप केस में उठे सवाल, महिला आयोग की टीम ने लगाए कई आरोप     भुवनेश्वर - पुरी रथ यात्रा भगदड़ मामले SP-DM का ट्रांसफर और पुलिस अधिकारी निलंबित