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आस्था की रसधारा है फतेहपुर का शिवराजपुर गांव, कहा जाता था छोटी काशी, 15वीं शताब्दी में मीरा ने बनवाया था मंदिर
  • 151049330 - RAM JI 1 2
    24 Aug 2024 15:45 PM



फतेहपुर का शिवराजपुर गांव का इतिहास 5 हजार वर्ष पुराना है। गंगा के किनारे बसा यह गांव ऋषि मुनियों, विद्वानों और व्यापारियों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र रहा। इस गांव को छोटी काशी के नाम से भी जाना जाता था। गांव की मिट्टी पर भृगु, दुर्वाषा जैसे ऋषि के साथ ही साथ कृष्ण की प्रेम दीवानी मीरा का भी पदार्पण हुआ था। मीरा यहां अपने गिरधर गोपाल को स्थापित कर वाराणसी चली गईं थीं 

फास्ट न्यूज इंडिया

: उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले कि अपनी अलग ही पहचान है। जनपद को प्राचीन धरोहरों के रूप में जाना जाता है। यहां का शिवराजपुर गांव धार्मिक और व्यापारिक स्थान होने के कारण इसे छोटी काशी कहा जाता था। यहां गंगा किनारे बसे ज्यादातर गांवों में शिवालय हैं। इन्हीं गांवों में एक शिवराजपुर गांव है, यहां के मंदिरों की नक्काशी आज भी आपको प्राचीन काल की याद दिलाती है। वहीं भगवान श्रीकृष्ण की प्रेम दीवानी मीरा ने यहां पर गिरधर गोपाल के मंदिर की स्थापना कराई थीं। इस मंदिर में आस्था की रसधारा आज भी प्रवाहित होती है। यहां की दिव्यता और भव्यता इतिहास में दर्ज है।

गिरधर गोपाल को स्थापित कर बनारस चली गईं थीं
शिवराजपुर का गांव के इतिहास की बात करें तो 5 हजार वर्ष पुराना है। गंगा के तट पर बसा यह शिवराजपुर गांव उस दौर में ऋषि मुनियों, विद्वानों और व्यापारियों के लिए आकर्षण का केंद्र था। इस गांव की मिट्टी पर भृगु, दुर्वाषा जैसे ऋषि के अलावा भगवान श्रीकृष्ण की दीवानी मीरा का कदम भी यहां ठहरा। मीरा यहां अपने गिरधर गोपाल को स्थापित कर बनारस चली गईं।

उत्तर प्रदेश के गजेटियर में दर्ज है यहां का मेला
मान्यता है कि, मीरा शिवराजपुर में कार्तिक पूर्णिमा के भव्य मेले के समय आई थीं। उत्तर प्रदेश के गजेटियर में 16 मेले का नाम दर्ज है। उसमें से एक शिवराजपुर का मेला भी है। इस धरती में मीरा के गिरधर गोपाल विराजमान हैं। वहीं रसिक बिहारी जी का भव्य मंदिर है। प्रशासन की अनदेखी के चलते आज यहां के मंदिर जीर्णशीर्ण होते जा रहे हैं। इन मंदिरों की देखभाल और पूजा करने के लिए भी कोई नहीं है।

गंगा-यमुना के बीच बसा गांव व्यापार का मुख्य केंद्र था
बताते हैं कि गंगा के किनारे बसे इस गांव में बिठूर, कन्नौज और प्रयागराज से व्यापार होता था। शिवराजपुर गंगा और यमुना के बीच व्यापार का मुख्य केंद्र था। इसे छोटी काशी भी कहा जाता था। यहां कार्तिक पूर्णिमा का भव्य मेला लगता था। मेले में लोगों का जनसैलाब उमड़ता था।

3 दिन तक रुकी थीं मीरा
कार्तिक पूर्णिमा के मेले में ही 15वीं शताब्दी में शिवराजपुर में मीरा का पदार्पण हुआ था। मीरा 3 दिन तक यहां ठहरी थीं और अपने गिरधर गोपाल को यहीं स्थापित कर बनारस चली गईं।

राम जी साहू 



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