, जम्मू में दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा जारी तीन दिवसीय सुंदरकांड कथा के दूसरे दिन की सभा में गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी दीक्षा भारती जी ने कथा प्रसंग को आगे बढ़ते हुए कहा कि की हनुमान जी प्रभु श्री राम का सुमिरन करते हुए लंका में प्रवेश करते हैं जहां प्रवेश द्वार पर उनकी भेंट लंकिनी राक्षसी से होती है। लंकिनी हनुमान जी का रास्ता अवरूद्ध करती है और हनुमान जी मुष्ठिका का प्रहार करते हैं। लंकिनी मूर्छित हो जाती है। होश में आने पर लंकिनी कहती है कि यह तो बहुत सुंदर सत्संग हो गया। हनुमान जी और लंकिनी के बीच में सत्संग होता है अर्थात हनुमान जी लंकिनी को आत्मज्ञान प्रदान करते हैं। सत्संग की महिमा को शास्त्रों में अनंत कहा गया है। बिना सत्संग के विवेक की प्राप्ति नहीं होती है। सत्संग दो शब्दों के सुमेल से बना शब्द है जिसका अर्थ होता है, ईश्वर का साक्षात्कार प्राप्त करना। वहीं दूसरी तरफ विभीषण को भी हनुमान जी ब्रह्म ज्ञान प्रदान कर ईश्वर भक्ति के मार्ग पर अग्रसर करते हैं। साध्वी जी ने बताया कि जब मनुष्य के जीवन में हनुमान जी जैसे संतों का आगमन होता है, तब एक मनुष्य अपने दुष्ट प्रवृत्तियों को त्याग कर सद पथ के मार्ग पर अग्रसर होता है। आध्यात्मिक ज्ञान मनुष्य के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लेकर आता है। ऐसा ही लंकनी और विभीषण के जीवन में भी हुआ। गणिका वैश्य, सज्जन ठग, अजामिल जैसे दुराचारी लोग सत्संग को पाकर प्रभु भक्ति के मार्ग पर आगे बढ़े और अपने जीवन को सफल सार्थक किया। कथा के दौरान साध्वी जी ने हनुमान जी द्वारा माता सीता से भेंट और लंका दहन की लीला का भी प्रस्तुतीकरण किया। प्रभु राम की महिमा में सुंदर भजनों का गायन किया गया। सारी ही संगत प्रभु की महिमा सुन अत्यंत आनंदित, हर्षित एवं उत्साहित हुई। क्षेत्र का सारा ही वातावरण राम में हो गया। विशेष तौर पर स्वामी सुचेतानंद, स्वामी हरिदास नंद, राजेंद्र चाणक ओनर उदय फार्म, रामदास पूर्व कॉरपोरेटर, धर्मपाल ट्रांसपोर्टर और अम्मी को गणमान्य सज्जन मौजूद रहे। कथा का समापन श्री आरती के साथ किया गया। उसके पश्चात सभी संगत ने प्रसाद ग्रहण किया। सुभाष चन्द्र स्टेट इंचार्ज चैनल जम्मू कश्मीर 151036774