रुदावल : सनातन धर्म की मान्यता के अनुसार वैशाख माह के कृष्ण पक्ष को पड़ने वाली एकादशी को से वरुथिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। यह एकादशी चार मई को मनाई जाएगी। यह इकलौती एकादशी है, इसमें भगवान विष्णु के वराह अवतार का पूजन किया जाता है। इस बार वरुथिनी एकादशी पर त्रिपुष्कर योग, इंद्र योग और वैधृति योग के दुर्लभ संयोग का निर्माण हो रहा है। ज्योतिषाचार्यों का कहना है की यह संयोग सदियों बाद बनता है। यह संयोग कुछ राशियों के लिए बेहद शुभफलदायक होगा। वरुथिनी एकादशी शनिवार को पड़ रही है। ऐसे में भगवान विष्णु के साथ-साथ शनिदेव का आशीर्वाद भी प्राप्त होगा। संकटों से रक्षा के लिए, भगवान विष्णु के मंदिरों में विशेष पूजन होंगे। इस साल वरुथिनी एकादशी की शुरुआत तीन मई की रात 11.24 बजे होगी। इसका समापन चार मई की रात 08.38 बजे होगा। उदयातिथि को देखते हुए चार मई को वरुथिनी एकादशी का व्रत रखा जाएगा। वैष्णवजन पांच मई को यह व्रत रखेंगे।