ईरान-इजरायल संकट (2024 Iran Israel Conflict) ऐसे समय आया जब भारत आर्थिक विकास की ओर तेजी से बढ़ रहा है. इस मामले में सीएनबीसी आवाज़ को सूत्रों के हवाले से Exclusive जानकारी मिली है. ईरान-इजरायल संकट से उपजे हालात पर वित्त मंत्रालय नजर बनाए हुए है. कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों (Crude Oil Price) के संभावित असर की मॉनिटरिंग की जा रही है.
भारत की प्राथमिकता
सूत्रों से मिली एक्सक्लूसिव जानकारी के मुताबिक अगर संकट लंबा चला तो जरूरी कदम उठाने पर विचार किया जाएगा. विदेश, वित्त, उद्योग और पेट्रोलियम मंत्रालयों की साझा बैठक भी हो सकती है. फिलहाल, उद्योग मंत्रालय शिपिंग फ्रेट चार्जेज, कंटेनर के शॉर्टेज जैसे मुद्दों पर फोकस कर रहा है. मालूम हो कि अभी 17 भारतीय ईरान की कस्टडी में है. इसलिए कूटनीतिक तौर पर पहली प्राथमिकता 17 भारतीयों को वापस लाना होगी.
भारत पर क्या हो सकता है असर?
भारत मजबूत आर्थिक विकास की राह पर है. देश में महंगाई नीचे आ रही है और इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन भी स्पीड पकड़ रही है. कंजम्पशन और प्राइवेट इन्वेस्टमेंट में भी फिलहाल मजबूती देखी जा रही है. लेकिन युद्ध इस सब पर पानी फेर सकता है. अरब देश भारत की दो-तिहाई तेल जरूरतों को पूरा करते हैं. मिडिल-ईस्ट का तनाव कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी का कारण बन सकता है, जो भारत में फिर से महंगाई को ट्रिगर करेगा. इस तनाव का सबसे बुरा प्रभाव कच्चे तेल की कीमतों पर पड़ने की उम्मीद है. अगर तनाव बढ़ा तो पहले से ही सुस्त पड़े व्यापारिक निर्यात में भी और गिरावट आने की संभावनाएं बढ़ जाएंगी.
अगर इजराइल चुपचाप नहीं बैठता है, तो हालात बिगड़ सकते हैं. मालूम हो कि हाल ही में हुआ हमला 1 अप्रैल को दमिश्क में ईरान के वाणिज्य दूतावास पर कथित तौर पर इजराइल की तरफ से की गई बमबारी के जवाब में था, जिसमें वरिष्ठ ईरानी सैन्य कमांडर मारे गए थे. ईरान ने इजराइल पर 300 से ज्यादा ड्रोन के अलावा क्रूज और बैलिस्टिक मिसाइलें लॉन्च कीं. इस हमले के बाद से पूरी दुनिया के माथे पर चिंताओं की लकीरें खींच गई हैं क्योंकि मौजूदा समय में भारत सहित कई देश अपनी अर्थव्यवस्था को सुधारने में जुटे हुए हैं.