फूटी, कौड़ी, धेला, आना जैसे रोजमर्रा के लेन देन के क्रम में जब दीनार और रुपया की बात आती है तो मस्तिष्क में एकदम से कुवैत, ओमान, जॉर्डन अरब जैसे खाड़ी देशों व शेरशाह सूरी के नाम आने लगते हैं। आज दीनार लेन - देन के मामले में सबसे वजनी मुद्रा है जिसे भुना कर शेख और भी अमीर हो रहे हैं। वैसे यह बता दूँ कि शेख शब्द श्रेष्ट से निकला है ठीक वैसे जैसे श्रेष्ठ शब्द कालान्तर में सेठ हो गया। श्रेष्ठियों की श्रेणियां यानी गिल्ड व्यापार के लिए जानी जाती थीं जिसे मध्य एशिया वालों ने अपने उपनाम के साथ शेख करके जोड लिया। प्राचीनकाल में इन्ही श्रेष्ठियों के सामान दीनार मुद्रा के तहत आदान प्रदान किये जाते थे। अरब जब एक विशेष पंथ के प्रभाव में आया तो श्रेष्ठ शेख हो गये पर दीनार का नाम नहीं बदला वह बाकायदा चलन में वैसे ही रहा।
दीनार शब्द की धात्विक उत्पत्ति आर्यभाषा से मानी जाती है। साँची के स्तूप के द्वार पर दीनार शब्द का उल्लेख हुआ है। पुष्यमित्र शुंग से लेकर उत्तर गुप्तकाल तक दीनार शब्द बतौर मुद्रा चलन में खूब दिखते हैं। दशकुमार चरित में द्यूत क्रीडा के सन्दर्भ में इस शब्द का प्रयोग मिलता है साथ ही हरिवंश और महावीर चरित में भी इसके प्रयोग किये गए हैं। एक समय यह कमोबेश इसी उच्चारण के साथ यवन देशों में व्यापार की मुख्य मुद्रा थी। कुषाण इसे दिनारयस के नाम से संबोधित करते थे। गुप्तकाल में दीनार राजकीय मुद्रा थी।
एक और भ्रम है लोगों में है कि शेरशाह ने रुपया का चलन शुरू किया था। रोमिलाई इतिहासकारों का वश चले तो शेरू को उदारीकरण का मसीहा घोषित कर दें। रुपया शब्द की निष्पत्ति रूप्य से हुयी। प्राचीन समय में रुप्पय भारतीय मुद्रा थी जो चांदी की बनी थी। रूप्य का अर्थ ही चांदी होता है। रुपहली धूप या रुपहला पर्दा चांदी के ही समानार्थी हैं। भारत-विद्याशात्री राधाकुमुद मुखर्जी के अनुसार रूप्य का अर्थ सफ़ेद धातु का मोहरबंद टुकड़ा और आधुनिक अर्थ में एक सिक्का है।
अभी कुछ कबीलाई लोग और कुछ वामिये आएंगे और कहने लगेंगे कि धरती चपटी है और इसी को मॉडल मान कर सिक्के बनाए गये। कुछ लोग कनिष्क को बाहरी बताएँगे, कुषाण को आक्रान्ता बताएंगे , उनको बताना चाहूँगा कि एरण मध्य प्रदेश में एक हजार ईसा पूर्व के सोने के सिक्के और बंगाल के पांडु राजार ढिबी के दो हजार साल ईसा पूर्व के सोने, चांदी और ताम्बे के सिक्के मिले हैं जिस पर चर्चा कभी की ही नहीं गयी, पर अब खुदाई हो रही है जिससे सत्य सूर्य की तरह चमकता सामने आ रहा है। मुझे आशा है कि इस पोस्ट के माध्यम से आपको दीनार और रूपये के बारे में ठीक जानकारी मिली होगी। (चित्र: एरण में ढाई से तीन हजार साल के मध्य में प्राप्त सिक्के) रिपोर्ट-राजेश शिवहरे 151168597