यूपी वाराणसी। चूल्हे पर आम की लकड़ी से प्रसाद बनाना। 36 घंटे तक निराजल व्रत। व्रत के दौरान बिना सिला हुआ कपड़ा पहनना। पूरे व्रत के दौरान जमीन पर सोना। ये नियम और संयम लोकपर्व छठ को बेहद खास बनाते हैं। दुनिया के सबसे कठिन व्रत में शामिल छठ का महाव्रत देखने में जितना मनभावन लगता है, उतना ही कठिन है इसके नियम और संयम को निभाना। नहाय खाय के साथ छठ के अनुष्ठान, नियम और संयम आरंभ हो जाते हैं। खरना के बाद निराजल व्रत भी आरंभ होता है, जो उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही पूर्ण होता है। इस अवधि में व्रती को खुद ही पूजन का प्रसाद भी तैयार करना होता है। शुद्धता, पवित्रता और शुचिता का ध्यान रखते हुए सभी अनुष्ठान को पूरा करना होता है। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. विनय पांडेय का कहना है कि दुनिया में छठ का महाव्रत सबसे कठिन व्रत होता है। खरना के दौरान मीठा भोजन करने के बाद व्रतियों का व्रत आरंभ हो जाता है। वह मिट्टी के चूल्हे में आम की लकड़ी पर ही व्रत के लिए प्रसाद तैयार करती हैं। अन्य किसी दूसरे व्रत में तो व्रती को शांति से एक स्थान पर बैठने का भी अवसर मिलता है, लेकिन इसमें तो व्रती को खुद ही प्रसाद तैयार करना पड़ता है। चार दिनों की पूजा के दौरान इतना ज्यादा कार्य होता है, सबमें सफाई का खास ध्यान रखना होता है। प्रो. विनय पांडेय का कहना है कि सूर्य को ज्योतिष में आत्मा कारक ग्रह माना गया है। नवग्रहों का राजा कहा गया है। सौर मंडल के ग्रह सूर्य के प्रकाश से प्रकाशित होते हैं। भगवान सूर्य सृष्टि के कारक हैं। अगर सूर्य स्थिर हो जाएंगे तो सृष्टि रुक जाएगी। रतन चंद स्टेट ब्यूरो चीफ हिमाचल प्रदेश फास्ट न्यूज इंडिया 151149876