साल भर के इंतजार के बाद फिर एक बार हर्षोल्लास का पर्व यानि दिवाली पर्व नवम्बर माह में आ रहा है जिसे धूम-धाम से मनाया जाता है। हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि के दिन दीपावली पर्व मनाया जाता है। इस दिन माता लक्ष्मी और भगवान गणेश जी की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन पूजा करने से और माता लक्ष्मी की आराधना करने से भक्तों को विशेष लाभ मिलता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि दिवाली पर्व क्यों मनाई जाती है? अगर नहीं तो बता दें कि दीपावली पर्व से जुड़ी कई कथाएं शास्त्रों में वर्णित हैं। आइए जानते हैं-
क्यों मनाते हैं दिवाली का त्यौहार?
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को भगवान श्री राम 14 वर्षों के बाद वनवास की समय अवधि पूर्ण करके अपनी जन्मभूमि अयोध्या नगरी लौटे थे। इस उपलक्ष में संपूर्ण अयोध्या वासियों ने दीपोत्सव का आयोजन कर भगवान श्रीराम का स्वागत किया था। तब से हर साल कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को दीपावली का त्योहार उसी हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। साथ ही घरों के साथ-साथ आसपास की जगहों को भी रोशनी से सजाया जाता है।
महाभारत काल में दिवाली क्यों मनाई गई थी?
हिंदू धर्म में प्रख्यात ग्रंथ महाभारत में यह बताया गया है कि कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को पांडव 13 वर्षों का वनवास पूरा कर अपने घर लौटे थे। बता दें कि कौरवों ने उन्हें शतरंज में हराकर 13 वर्षों तक वनवास का दंड दिया था। जब पांडव वापस अपने घर लौट कर आए थे तब उनके घर आगमन की खुशी में नगरवासियों ने दीपोत्सव के साथ उनका स्वागत किया था। मान्यता है कि तब से ही दिवाली पर्व मनाया जाता है।
दिवाली पर माता लक्ष्मी की पूजा क्यों की जाती है?
शास्त्रों में इस बात का वर्णन मिलता है कि जब देवता और असुर समुद्र मंथन कर रहे थे। तब समुद्र मंथन से 14 रत्नों की उत्पत्ति हुई थी जिनमें से एक माता लक्ष्मी भी थीं। मान्यता है कि कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को माता लक्ष्मी का जन्म हुआ था। इसलिए दिवाली के दिन भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा करने से सुख-समृद्धि, धन, यश और वैभव सभी की प्राप्ति होती है और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है।
दिवाली से पहले से पहले छोटी दिवाली क्यों मनाई जाती है?
शास्त्रों में इस बात का भी वर्णन मिलता है कि जब नरकासुर नामक राक्षस ने तीनों लोकों में अपने आतंक से हाहाकार मचा दिया था। तब सभी देवी-देवता व ऋषि मुनि उसके अत्याचार से परेशान हो गए थे। तब भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर का वध किया था। इसी विजय के उपलक्ष में 2 दिन तक खुशियां मनाई गई थी। जिसे नरक चतुर्दशी यानी छोटी दिवाली और दिवाली के रूप में जाना जाता है।