अगले लोकसभा चुनाव तो अभी छह महीने दूर हैं, लेकिन आसन्न विधानसभा चुनावों में ही यह टकराव न सिर्फ सतह पर आ गया, बल्कि मुखर भी है। गठबंधन की बैठकों में ही यह सहमति बनी थी कि सीट बंटवारे पर बातचीत शुरू की जाए लेकिन कर्नाटक में सत्ता मिलने से उत्साहित कांग्रेस पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में सीट बंटवारे को टाल रही है। अपने आलोचकों को विपक्षी दल खुद ही सही साबित कर रहे हैं। चंद महीने पहले ही 28 विपक्षी दलों ने इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस (आइएनडीआइए) का गठन किया था। तब दावा किया गया था कि अगले लोकसभा चुनाव में भाजपा को केंद्र की सत्ता से बेदखल करना ही इस गठबंधन का एकमात्र लक्ष्य है। यह भी कहा गया था कि इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए ये दल त्याग करने में भी कोई संकोच नहीं करेंगे, क्योंकि राष्ट्रीय हित में यह जरूरी है, पर हो उसके एकदम उलट रहा है। कम-से-कम तीन पार्टियां-कांग्रेस, आप (आम आदमी पार्टी) और सपा आपस में तलवारें भांजती नजर आ रही हैं।