सरकार ने प्रमुख वैश्विक चिप निर्माताओं को देश में आकर्षित करने के लिए नए सिरे से प्रयास शुरू किए हैं। पिछले शुक्रवार को सेमीकॉन इंडिया शिखर सम्मेलन में, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संभावित निवेशकों से कहा कि सरकार ने पिछले साल आयोजित इसी किस्म के पहले सम्मेलन के बाद उनके सुझावों पर ध्यान दिया है और उनकी सभी चिंताओं को दूर करने के लिए पूरी तत्परता से फैसले लिए हैं। उन्होंने कहा कि उत्पादन की सभी नई परियोजनाओं के लिए कॉरपोरेट कर की कम दरों एवं अन्य रियायतों के अलावा, भारत के सेमीकंडक्टर कार्यक्रम के तहत उत्पादन इकाइयां स्थापित करने के लिए तकनीकी कंपनियों को दिए जाने वाले प्रोत्साहन को बढ़ाकर 50 फीसदी वित्तीय सहायता तक ले जाया गया है।
इस तरह, अनिवार्य रूप से, सरकार आम तौर पर कंपनियों के बड़े निवेश परिव्यय का आधा हिस्सा वहन करेगी। श्री मोदी की अमेरिकी यात्रा से पहले, गुजरात में अमेरिका-स्थित माइक्रोन टेक्नोलॉजी द्वारा प्रस्तावित 2.75 बिलियन अमेरिकी डॉलर की असेंबली, परीक्षण, मार्किंग और पैकेजिंग इकाई की स्थापना के लिए रास्ता साफ कर दिया गया। शायद सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला बनाने के लिए दोनों देशों के बीच हुए सहयोग समझौते से प्रेरित, इस सौदे ने निवेशकों की रुचि को बढ़ाया है और माइक्रोन के आपूर्तिकर्ताओं को सह-केन्द्रित इकाइयों की स्थापना संबंधी विकल्प की संभावना तलाशने के लिए उत्साहित किया है। अब जबकि कई देश सहयोगी या ‘फ्रेंडशोरिंग’ की व्यवस्था के जरिए चिप उत्पादन से जुड़ी आपूर्ति-श्रृंखला के क्षेत्र में चीन के प्रभुत्व के जोखिम से खुद को मुक्त करने की कोशिश कर रहे हैं, निवेशकों को बेहतर सुविधा प्रदान करने का औचित्य निर्विवाद है।
लेकिन इस मामले में पहले ही बहुत कड़ी प्रतिस्पर्धा है। वर्ष 2021 में सेमीकंडक्टर निर्माताओं के लिए अमेरिका द्वारा घोषित 52 बिलियन अमेरिकी डॉलर की वित्तीय सहायता ने 200 बिलियन अमेरिकी डॉलर से ज्यादा के निवेश को आकर्षित किया है। विभिन्न किस्म की सब्सिडी से आकर्षित होकर, अकेले इंटेल ने पूरे यूरोपीय संघ में 80 बिलियन अमेरिकी डॉलर के परिव्यय का वादा किया है। भारत में, 2021 के अंत में चिप निर्माताओं के लिए 10 बिलियन अमेरिकी डॉलर की उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन योजना की शुरुआत की गई थी। हालांकि, पिछले साल 20 बिलियन अमेरिकी डॉलर का उद्यम लगाने की वेदांता और फॉक्सकॉन की घोषणा अधूरी रह गई है।
एक प्रभावी अनुकरणीप्रभाव पैदा करने के लिए यह बेहद महत्वपूर्ण है कि माइक्रोन के निवेश को साकार होने तक सहारा दिया जाए। प्रोत्साहनों के अलावा, निवेशकों को एक पूर्वानुमानित नीतिगत ढांचे के साथ कामकाज का एक स्थिर माहौल का सबूत भी देखना होगा जोकि किसी कमी से निपटने के लिए निर्यात पर अंकुश लगाने जैसे अचानक विचलन के लिए उत्तरदायी न हो। वे द्विपक्षीय या बहुपक्षीय समझौतों के जरिए दुनिया के बाजारों के साथ भारत के व्यापार संबंधों और असंख्य घटकों, जिन्हें बाहर से मंगाने की जरूरत हो सकती है, से जुड़े टैरिफ के बारे में इसके नजरिए की भी तुलना करेंगे। वैश्विक चिप आपूर्ति श्रृंखला की जरूरतों को समझने के प्रधानमंत्री के आश्वासन को ऐसी चिंताओं को दूर करने से जुड़े कदमों के साथ मेल खाने की जरूरत है। इन सबके बावजूद हकीकत और चिप के बीच फिर भी कई फासले हो सकते हैं।
